संक्षारण: Difference between revisions
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संक्षारण- धातुएँ वायुमण्डल की नमी था वायु की ऑक्सीजन एवं अन्य गैसों जैसे CO<sub>2</sub>, SO<sub>2</sub>, NO<sub>2</sub>, H<sub>2</sub>S आदि से क्रिया कर अवांछनीय यौगिकों की एक परत बना लेती है, जिससे धातुओं की सतह खराब हो जाती है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है। | संक्षारण- धातुएँ वायुमण्डल की नमी था वायु की ऑक्सीजन एवं अन्य गैसों जैसे CO<sub>2</sub>, SO<sub>2</sub>, NO<sub>2</sub>, H<sub>2</sub>S आदि से क्रिया कर अवांछनीय यौगिकों की एक परत बना लेती है, जिससे धातुओं की सतह खराब हो जाती है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है। | ||
लोहे पर जंग लगना, ताँबे के बर्तन नील-हरे होना, | '''धातुओं का संक्षारण''' (Corrosion of metals) एक रासायनिक क्रिया है, जिसके फलस्वरूप धातुओं का क्षय एवं ह्रास होता है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है। आपने देखा होगा की लोहे की बनी नई वस्तुएं चमकीली होती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात उन पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। प्रायः इस इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं। कुछ धातुओं में भी ऐसा ही परिवर्तन होता है। जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, आद्रता आदि के सम्पर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। संक्षारण के कारण कार के ढांचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज तथा धातु क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। | ||
'''लोहे पर जंग लगना, ताँबे के बर्तन नील-हरे होना, सोने-चाँदी के गहने हरे हो जाना।''' | |||
== संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक == | |||
* वातावरण में नमी, H<sub>2</sub>S, SO<sub>2</sub> आदि होने पर संक्षारण शीघ्र होता है। | |||
* धातु में अशुद्धियां होने पर संक्षारण होने लगता है। | |||
* वातावरण में उपस्थित नमी, अशुद्धियाँ होने पर संक्षारण होने लगता है। | |||
== संक्षारण रोकने के उपाय == | |||
* धातुओं की सतह पर तेल, ग्रीस की पतली परत चढ़ाकर संक्षारण को रोका जा सकता है। | |||
* धातुओं की सतह पर पेण्ट वार्निस की रोधी परत चढ़ाकर संक्षारण को रोका जा सकता है। | |||
* धातुओं की सतह पर विद्युत लेपन द्वारा निकल या क्रोमियम की परत चढ़ा दी जाती है जिससे संक्षारण को रोका जा सकता है। | |||
* लोहे को जंग से बचने के लिए उस पर Zn की परत चढ़ा देते है। Zn वायुमण्डल की ऑक्सीजन से क्रिया करता रहता है, जिससे लोहा सुरक्षित बना रहता है। | |||
Revision as of 13:23, 9 June 2023
संक्षारण- धातुएँ वायुमण्डल की नमी था वायु की ऑक्सीजन एवं अन्य गैसों जैसे CO2, SO2, NO2, H2S आदि से क्रिया कर अवांछनीय यौगिकों की एक परत बना लेती है, जिससे धातुओं की सतह खराब हो जाती है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है।
धातुओं का संक्षारण (Corrosion of metals) एक रासायनिक क्रिया है, जिसके फलस्वरूप धातुओं का क्षय एवं ह्रास होता है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है। आपने देखा होगा की लोहे की बनी नई वस्तुएं चमकीली होती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात उन पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। प्रायः इस इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं। कुछ धातुओं में भी ऐसा ही परिवर्तन होता है। जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, आद्रता आदि के सम्पर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। संक्षारण के कारण कार के ढांचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज तथा धातु क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
लोहे पर जंग लगना, ताँबे के बर्तन नील-हरे होना, सोने-चाँदी के गहने हरे हो जाना।
संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक
- वातावरण में नमी, H2S, SO2 आदि होने पर संक्षारण शीघ्र होता है।
- धातु में अशुद्धियां होने पर संक्षारण होने लगता है।
- वातावरण में उपस्थित नमी, अशुद्धियाँ होने पर संक्षारण होने लगता है।
संक्षारण रोकने के उपाय
- धातुओं की सतह पर तेल, ग्रीस की पतली परत चढ़ाकर संक्षारण को रोका जा सकता है।
- धातुओं की सतह पर पेण्ट वार्निस की रोधी परत चढ़ाकर संक्षारण को रोका जा सकता है।
- धातुओं की सतह पर विद्युत लेपन द्वारा निकल या क्रोमियम की परत चढ़ा दी जाती है जिससे संक्षारण को रोका जा सकता है।
- लोहे को जंग से बचने के लिए उस पर Zn की परत चढ़ा देते है। Zn वायुमण्डल की ऑक्सीजन से क्रिया करता रहता है, जिससे लोहा सुरक्षित बना रहता है।