समंजन क्षमता: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

(Created page with "Power of Accomodation")
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
Power of Accomodation
Power of Accomodation
समंजन क्षमता,मानव नेत्र का एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो उसे विभिन्न दूरी पर वस्तुओं पर अपना ध्यान समायोजित करने की अनुमति देती है। यह आंख के लेंस की अपना आकार बदलने की क्षमता है और इसके परिणामस्वरूप, देखी जाने वाली वस्तु की दूरी के अनुसार इसकी फोकल लंबाई बदल जाती है। यह समायोजन सुनिश्चित करता है कि विभिन्न दूरी पर वस्तुओं की छवियां रेटिना पर तेजी से केंद्रित हों।
== महत्वपूर्ण अवधारणाएं ==
======    लेंस का लचीलापन ======
मानव आंख का लेंस एक लचीली, पारदर्शी संरचना है जो परितारिका (आंख का रंगीन भाग) के पीछे स्थित होती है। यह सिलिअरी मांसपेशियों को सिकोड़कर या शिथिल करके अपना आकार बदल सकता है, जिससे यह अपनी फोकल लंबाई को समायोजित कर सकता है।
======    निकट और दूर की दृष्टि ======
जब कोई वस्तु दूर होती है, तो सिलिअरी मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, जिससे लेंस पतला हो जाता है। इससे इसकी फोकल लंबाई बढ़ जाती है, जिससे आंख दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाती है। इस प्रक्रिया को विश्राम कहा जाता है।
======    निकट की वस्तुओं के लिए समायोजन ======
जब कोई वस्तु निकट होती है, तो सिलिअरी मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे लेंस मोटा हो जाता है। इससे इसकी फोकल लंबाई कम हो जाती है, जिससे आंख पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाती है। इस प्रक्रिया को संकुचन कहा जाता है।
======    फोकल लंबाई और शक्ति ======
समायोजन की शक्ति लेंस की फोकल लंबाई के व्युत्क्रम से संबंधित होती है। शक्ति की इकाई को डायोप्टर (D) कहा जाता है, और इसे पारस्परिक मीटर (m^(-1)) में मापा जाता है।
<math>Power (D)=\frac {1}{Focal\;Length},</math>

Revision as of 12:02, 26 September 2023

Power of Accomodation

समंजन क्षमता,मानव नेत्र का एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो उसे विभिन्न दूरी पर वस्तुओं पर अपना ध्यान समायोजित करने की अनुमति देती है। यह आंख के लेंस की अपना आकार बदलने की क्षमता है और इसके परिणामस्वरूप, देखी जाने वाली वस्तु की दूरी के अनुसार इसकी फोकल लंबाई बदल जाती है। यह समायोजन सुनिश्चित करता है कि विभिन्न दूरी पर वस्तुओं की छवियां रेटिना पर तेजी से केंद्रित हों।

महत्वपूर्ण अवधारणाएं

   लेंस का लचीलापन

मानव आंख का लेंस एक लचीली, पारदर्शी संरचना है जो परितारिका (आंख का रंगीन भाग) के पीछे स्थित होती है। यह सिलिअरी मांसपेशियों को सिकोड़कर या शिथिल करके अपना आकार बदल सकता है, जिससे यह अपनी फोकल लंबाई को समायोजित कर सकता है।

   निकट और दूर की दृष्टि

जब कोई वस्तु दूर होती है, तो सिलिअरी मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, जिससे लेंस पतला हो जाता है। इससे इसकी फोकल लंबाई बढ़ जाती है, जिससे आंख दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाती है। इस प्रक्रिया को विश्राम कहा जाता है।

   निकट की वस्तुओं के लिए समायोजन

जब कोई वस्तु निकट होती है, तो सिलिअरी मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे लेंस मोटा हो जाता है। इससे इसकी फोकल लंबाई कम हो जाती है, जिससे आंख पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाती है। इस प्रक्रिया को संकुचन कहा जाता है।

   फोकल लंबाई और शक्ति

समायोजन की शक्ति लेंस की फोकल लंबाई के व्युत्क्रम से संबंधित होती है। शक्ति की इकाई को डायोप्टर (D) कहा जाता है, और इसे पारस्परिक मीटर (m^(-1)) में मापा जाता है।