धात्विक त्रिज्या: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
| Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:तत्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता]][[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | [[Category:तत्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता]][[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | ||
धात्विक क्रिस्टल मे उपस्तिथ दो परमाणुओ के मध्य की अन्तरानाभिक दुरी का आधा धात्विक त्रिज्या कहलाता हैं या किसी धात्विक संरचना में दो धातु परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को धात्विक त्रिज्या कहते है। इस प्रकार की धात्विक संरचना में परमाणु धात्विक बंधों से जुड़े होते हैं। किसी [[अणु]] में उपस्थित दो समान परमाणुओं के केंद्रकों के मध्य के अंतर के आधे को धात्विक त्रिज्या कहा जाता है। किसी [[परमाणु]] के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान और [[नाभिक]] के बीच की दूरी के अंतर को धात्विक त्रिज्या कहते हैं। प्रायः धात्विक त्रिज्या आवर्त में बायें से दायें की ओर घटतीे हैं। आवर्त में लीथियम कीधात्विक त्रिज्या सबसे अधिक और फ्लोरीन की धात्विक त्रिज्या सबसे कम होती है। धात्विक त्रिज्या को नैनोमीटर (10<sup>-9</sup> मीटर) में मापा जाता है। किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं। | |||
== आवर्त सारणी में धात्विक त्रिज्या की विशेषता == | |||
=== आवर्त में धात्विक त्रिज्या === | |||
किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर, प्रभावी परमाणु आवेश में वृद्धि के कारण धात्विक त्रिज्या सामान्यतः कम होती जाती है। | |||
'''<big>Li > Be > B > C > N > O > F > Ne > Na > K > Ca</big>''' | |||
=== वर्ग में धात्विक त्रिज्या === | |||
किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर, मुख्य क्वांटम संख्या में वृद्धि के कारण धात्विक त्रिज्या बढ़ती जाती है । | |||
'''<big>Li < Na < K < Rb < Cs < Fr</big>''' | |||
* | |||
Revision as of 12:34, 13 February 2024
धात्विक क्रिस्टल मे उपस्तिथ दो परमाणुओ के मध्य की अन्तरानाभिक दुरी का आधा धात्विक त्रिज्या कहलाता हैं या किसी धात्विक संरचना में दो धातु परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को धात्विक त्रिज्या कहते है। इस प्रकार की धात्विक संरचना में परमाणु धात्विक बंधों से जुड़े होते हैं। किसी अणु में उपस्थित दो समान परमाणुओं के केंद्रकों के मध्य के अंतर के आधे को धात्विक त्रिज्या कहा जाता है। किसी परमाणु के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान और नाभिक के बीच की दूरी के अंतर को धात्विक त्रिज्या कहते हैं। प्रायः धात्विक त्रिज्या आवर्त में बायें से दायें की ओर घटतीे हैं। आवर्त में लीथियम कीधात्विक त्रिज्या सबसे अधिक और फ्लोरीन की धात्विक त्रिज्या सबसे कम होती है। धात्विक त्रिज्या को नैनोमीटर (10-9 मीटर) में मापा जाता है। किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं।
आवर्त सारणी में धात्विक त्रिज्या की विशेषता
आवर्त में धात्विक त्रिज्या
किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर, प्रभावी परमाणु आवेश में वृद्धि के कारण धात्विक त्रिज्या सामान्यतः कम होती जाती है।
Li > Be > B > C > N > O > F > Ne > Na > K > Ca
वर्ग में धात्विक त्रिज्या
किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर, मुख्य क्वांटम संख्या में वृद्धि के कारण धात्विक त्रिज्या बढ़ती जाती है ।
Li < Na < K < Rb < Cs < Fr