न्यूटन का गति का दूसरा नियम: Difference between revisions
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<math>a</math> बल द्वारा उत्पन्न त्वरण को दर्शाता है। | <math>a</math> बल द्वारा उत्पन्न त्वरण को दर्शाता है। | ||
सरल शब्दों में | == सरल शब्दों में == | ||
यह नियम हमें बताता है कि किसी वस्तु का त्वरण दो कारकों पर निर्भर करता है: उस पर लगाया गया बल और उसका द्रव्यमान। किसी वस्तु पर जितना अधिक बल लगाया जाएगा, उसका त्वरण उतना ही अधिक होगा। इसी प्रकार, किसी वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होगा, उसी बल के लिए उसका त्वरण उतना ही कम होगा। | |||
न्यूटन का गति का दूसरा नियम भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है जो किसी वस्तु की गति को उस पर कार्य करने वाली शक्तियों से संबंधित | न्यूटन का गति का दूसरा नियम भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है जो किसी वस्तु की गति को उस पर कार्य करने वाली शक्तियों से संबंधित है। इसे इस प्रकार उद्धृत कीया जा सकता है: | ||
"किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर लागू शुद्ध बल के समानुपाती होता है और उसके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।" | "किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर लागू शुद्ध बल के समानुपाती होता है और उसके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।" | ||
===== त्वरण ===== | |||
त्वरण से तात्पर्य है कि किसी वस्तु का वेग कितनी जल्दी बदलता है। यदि कोई वस्तु गति करती है, धीमी होती है, या दिशा बदलती है, तो यह त्वरण का अनुभव कर रही है। | |||
===== शुद्ध बल ===== | |||
शुद्ध बल किसी वस्तु पर लगने वाला कुल बल है। जब एक वस्तु पर कई बल कार्य करते हैं, तो उनके प्रभाव मिलकर एक शुद्ध बल उत्पन्न करते हैं। यदि शुद्ध बल शून्य है, तो वस्तु आराम पर रहेगी या स्थिर वेग से चलती रहेगी (एक स्थिर गति से सीधी रेखा में)। | |||
===== समानुपातिक (Proportional) ===== | |||
जब हम कहते हैं कि दो राशियाँ समानुपाती होती हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि यदि एक मात्रा बढ़ती है तो दूसरी भी उसी अनुपात में बढ़ती है। इसी प्रकार यदि एक मात्रा घटती है तो दूसरी उसी अनुपात में घटती है। | |||
===== व्युत्क्रमानुपाती ===== | |||
दूसरी ओर, जब दो मात्राएँ व्युत्क्रमानुपाती होती हैं, तो इसका अर्थ है कि यदि एक मात्रा बढ़ती है, तो दूसरी उसी अनुपात में घटती है। इसी प्रकार यदि एक मात्रा घटती है तो दूसरी उसी अनुपात में बढ़ती है। | |||
===== द्रव्यमान ===== | |||
द्रव्यमान किसी वस्तु में मौजूद पदार्थ की मात्रा को संदर्भित करता है। यह किसी वस्तु की जड़ता या उसकी गति में परिवर्तन के प्रतिरोध का माप है। कोई वस्तु जितनी अधिक विशाल होती है, उसे गति देने के लिए उतने ही अधिक बल की आवश्यकता होती है।इन सभी को एक साथ रखने पर, न्यूटन का दूसरा नियम कहता है कि किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर कार्य करने वाले शुद्ध बल से संबंधित होता है (यदि आप बल बढ़ाते हैं, तो त्वरण बढ़ता है), और इसके द्रव्यमान से व्युत्क्रमानुपाती होता है (यदि आप द्रव्यमान बढ़ाते हैं, त्वरण कम हो जाता है)। | |||
न्यूटन के दूसरे नियम को समझने से हमें यह समझाने में मदद मिलती है कि वस्तुएँ अपने द्रव्यमान और उन पर कार्य करने वाली शक्तियों के आधार पर अलग-अलग गति क्यों करती हैं। यह भौतिकी में कई अन्य अवधारणाओं और कानूनों का आधार भी बनाता है, जिससे यह गति और गतिकी को समझने में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बन जाता है। | न्यूटन के दूसरे नियम को समझने से हमें यह समझाने में मदद मिलती है कि वस्तुएँ अपने द्रव्यमान और उन पर कार्य करने वाली शक्तियों के आधार पर अलग-अलग गति क्यों करती हैं। यह भौतिकी में कई अन्य अवधारणाओं और कानूनों का आधार भी बनाता है, जिससे यह गति और गतिकी को समझने में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बन जाता है। | ||
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Revision as of 12:06, 15 February 2024
Newton's second law of motion
न्यूटन के गति के दूसरे नियम में कहा गया है कि किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर कार्य करने वाले शुद्ध बल के समानुपाती होता है और उसके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार लिखा जा सकता है:
वस्तु पर कार्य करने वाले शुद्ध बल का प्रतिनिधित्व करता है,
वस्तु के द्रव्यमान का प्रतिनिधित्व करता है,
और
बल द्वारा उत्पन्न त्वरण को दर्शाता है।
सरल शब्दों में
यह नियम हमें बताता है कि किसी वस्तु का त्वरण दो कारकों पर निर्भर करता है: उस पर लगाया गया बल और उसका द्रव्यमान। किसी वस्तु पर जितना अधिक बल लगाया जाएगा, उसका त्वरण उतना ही अधिक होगा। इसी प्रकार, किसी वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होगा, उसी बल के लिए उसका त्वरण उतना ही कम होगा।
न्यूटन का गति का दूसरा नियम भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है जो किसी वस्तु की गति को उस पर कार्य करने वाली शक्तियों से संबंधित है। इसे इस प्रकार उद्धृत कीया जा सकता है:
"किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर लागू शुद्ध बल के समानुपाती होता है और उसके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"
त्वरण
त्वरण से तात्पर्य है कि किसी वस्तु का वेग कितनी जल्दी बदलता है। यदि कोई वस्तु गति करती है, धीमी होती है, या दिशा बदलती है, तो यह त्वरण का अनुभव कर रही है।
शुद्ध बल
शुद्ध बल किसी वस्तु पर लगने वाला कुल बल है। जब एक वस्तु पर कई बल कार्य करते हैं, तो उनके प्रभाव मिलकर एक शुद्ध बल उत्पन्न करते हैं। यदि शुद्ध बल शून्य है, तो वस्तु आराम पर रहेगी या स्थिर वेग से चलती रहेगी (एक स्थिर गति से सीधी रेखा में)।
समानुपातिक (Proportional)
जब हम कहते हैं कि दो राशियाँ समानुपाती होती हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि यदि एक मात्रा बढ़ती है तो दूसरी भी उसी अनुपात में बढ़ती है। इसी प्रकार यदि एक मात्रा घटती है तो दूसरी उसी अनुपात में घटती है।
व्युत्क्रमानुपाती
दूसरी ओर, जब दो मात्राएँ व्युत्क्रमानुपाती होती हैं, तो इसका अर्थ है कि यदि एक मात्रा बढ़ती है, तो दूसरी उसी अनुपात में घटती है। इसी प्रकार यदि एक मात्रा घटती है तो दूसरी उसी अनुपात में बढ़ती है।
द्रव्यमान
द्रव्यमान किसी वस्तु में मौजूद पदार्थ की मात्रा को संदर्भित करता है। यह किसी वस्तु की जड़ता या उसकी गति में परिवर्तन के प्रतिरोध का माप है। कोई वस्तु जितनी अधिक विशाल होती है, उसे गति देने के लिए उतने ही अधिक बल की आवश्यकता होती है।इन सभी को एक साथ रखने पर, न्यूटन का दूसरा नियम कहता है कि किसी वस्तु का त्वरण सीधे उस पर कार्य करने वाले शुद्ध बल से संबंधित होता है (यदि आप बल बढ़ाते हैं, तो त्वरण बढ़ता है), और इसके द्रव्यमान से व्युत्क्रमानुपाती होता है (यदि आप द्रव्यमान बढ़ाते हैं, त्वरण कम हो जाता है)।
न्यूटन के दूसरे नियम को समझने से हमें यह समझाने में मदद मिलती है कि वस्तुएँ अपने द्रव्यमान और उन पर कार्य करने वाली शक्तियों के आधार पर अलग-अलग गति क्यों करती हैं। यह भौतिकी में कई अन्य अवधारणाओं और कानूनों का आधार भी बनाता है, जिससे यह गति और गतिकी को समझने में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बन जाता है।