अपचयन: Difference between revisions
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अपचयन वह प्रक्रिया है, जिसमें ऑक्सीजन का निष्कासन और [[हाइड्रोजन]] का संयोजन होता है। दूसरे शब्दों में अपचयन का तातपर्य एक ऐसी अभिक्रिया से है , जिसमे हाइड्रोजन या किसी अन्य विद्युत् धनात्मक तत्त्व का संयोग हो या फिर ऑक्सीजन अथवा विद्युत् ऋणात्मक तत्त्व का वियोग हो ।अपचयन की प्रक्रिया में ऋणात्मक संयोजकता में वृद्धि होती है तथा धनात्मक संयोजकता की संख्या में कमी आती है। | |||
[[अपचायक]] वे पदार्थ हैं, जो दूसरे पदार्थों का अपचयन करते हैं तथा स्वयं ऑक्सीकृत हो जाते हैं। | |||
==== जैसे ==== | |||
हाइड्रोजन सल्फाइड (H<sub>2</sub>S), हाइड्रोजन(H<sub>2</sub>), कार्बन(C) आदि। | |||
अपचयन-ऐसी प्रक्रिया जिसमें ऑक्सीजन बाहर निकलती है और हाइड्रोजन जुड़ जाती है, अपचयनअभिक्रिया कहलाती है। | |||
=== '''उदाहरण''' === | |||
'''<chem>ZnO + CO -> Zn + CO2</chem>''' | |||
<chem>Cl2 + H2 -> 2HCl</chem> | |||
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में कोई [[परमाणु]], [[अणु]] या [[आयन]] द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं तो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले परमाणु और अणु या आयन का अपचयन हो जाता है जिससे उसकी ऑक्सीकरण संख्या में कमी आती है। अपचयन में धन आवेश में कमी हो जाती है या ऋण आवेश में वृद्धि हो जाती है। | |||
'''उदाहरण''' | |||
ऑक्सीजन का अपचयन | |||
<chem>O2 + 4H+ + 4e -> 2H2O</chem> | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* अपचयन से आप क्या समझते हैं? | |||
* आक्सीकरण संख्या से क्या तातपर्य है ? | |||
* आक्सीकरण एवं अपचयन से क्या समझते हैं ? | |||
Latest revision as of 16:25, 29 May 2024
अपचयन वह प्रक्रिया है, जिसमें ऑक्सीजन का निष्कासन और हाइड्रोजन का संयोजन होता है। दूसरे शब्दों में अपचयन का तातपर्य एक ऐसी अभिक्रिया से है , जिसमे हाइड्रोजन या किसी अन्य विद्युत् धनात्मक तत्त्व का संयोग हो या फिर ऑक्सीजन अथवा विद्युत् ऋणात्मक तत्त्व का वियोग हो ।अपचयन की प्रक्रिया में ऋणात्मक संयोजकता में वृद्धि होती है तथा धनात्मक संयोजकता की संख्या में कमी आती है।
अपचायक वे पदार्थ हैं, जो दूसरे पदार्थों का अपचयन करते हैं तथा स्वयं ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
जैसे
हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), हाइड्रोजन(H2), कार्बन(C) आदि।
अपचयन-ऐसी प्रक्रिया जिसमें ऑक्सीजन बाहर निकलती है और हाइड्रोजन जुड़ जाती है, अपचयनअभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में कोई परमाणु, अणु या आयन द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं तो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले परमाणु और अणु या आयन का अपचयन हो जाता है जिससे उसकी ऑक्सीकरण संख्या में कमी आती है। अपचयन में धन आवेश में कमी हो जाती है या ऋण आवेश में वृद्धि हो जाती है।
उदाहरण
ऑक्सीजन का अपचयन
अभ्यास प्रश्न
- अपचयन से आप क्या समझते हैं?
- आक्सीकरण संख्या से क्या तातपर्य है ?
- आक्सीकरण एवं अपचयन से क्या समझते हैं ?