वुर्ट्ज अभिक्रिया: Difference between revisions

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वर्ट्ज़ प्रतिक्रिया एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसका नाम फ्रांसीसी रसायनज्ञ चार्ल्स-एडोल्फ वर्ट्ज़ के नाम पर रखा गया है। इस प्रतिक्रिया का आमतौर पर कार्बनिक रसायन विज्ञान में अध्ययन किया जाता है और इसका उपयोग एल्किल हैलाइड से एल्केन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है।
वर्ट्ज़ अभिक्रिया एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसका नाम फ्रांसीसी रसायनज्ञ चार्ल्स-एडोल्फ वर्ट्ज़ के नाम पर रखा गया है। इस अभिक्रिया का आमतौर पर कार्बनिक रसायन विज्ञान में अध्ययन किया जाता है और इसका उपयोग [[एल्किल हैलाइड]] से [[एल्केन]] (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है।


ऐल्किल हैलाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया कराने पर एल्केन प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया को वुर्ट्ज अभिक्रिया कहते है। इसमें बनने वाले एल्केन में कार्बन परमाणुओ की संख्या पितृ ऐल्किल हैलाइड की अपेक्षा दोगुनी होती है।
ऐल्किल हैलाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया कराने पर एल्केन प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया को वुर्ट्ज अभिक्रिया कहते है। इसमें बनने वाले एल्केन में कार्बन परमाणुओ की संख्या पितृ [[एल्किल हैलाइड]] की अपेक्षा दोगुनी होती है।


<chem>2RX + 2Na ->[ether] R-R + 2NaX</chem>
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प्रतिक्रिया में धात्विक सोडियम की उपस्थिति में दो ऐल्किल हैलाइड अणुओं का युग्मन शामिल होता है। ऐल्किल हैलाइड सोडियम के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, रेडिकल बनाते हैं जो फिर वांछित एल्केन और सोडियम हैलाइड का उत्पादन करने के लिए संयोजित होते हैं।
अभिक्रिया में धात्विक सोडियम की उपस्थिति में दो ऐल्किल हैलाइड अणुओं का युग्मन शामिल होता है। एल्किल हैलाइड सोडियम के साथ अभिक्रिया करते हैं, रेडिकल बनाते हैं जो फिर वांछित एल्केन और सोडियम हैलाइड का उत्पादन करने के लिए संयोजित होते हैं।


यह दो चरणों में संपन्न होती है:
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<big>R-X+Na⟶R⋅+NaX</big>
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एल्काइल हैलाइड सोडियम के साथ प्रतिक्रिया करके एक रेडिकल R'''<sup>.</sup>''' बनाता है।  
एल्काइल हैलाइड सोडियम के साथ अभिक्रिया करके एक रेडिकल R'''<sup>.</sup>''' बनाता है।  


=== चरण-2 रेडिकल संयोजन: ===
=== चरण-2 रेडिकल संयोजन: ===
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=== उदाहरण ===
=== उदाहरण ===
दो मोल एथिल आयोडाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया करने पर ब्यूटेन देता है।
दो मोल एथिल आयोडाइड सोडियम [[धातु]] के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया करने पर ब्यूटेन देता है।


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<chem>2CH3-CH2-I + 2Na ->[ether] CH3-CH2-CH2-CH3 + 2NaI</chem>
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=== नोट ===
=== नोट ===
इस अभिक्रिया का उपयोग कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ाने में करते हैं।
इस अभिक्रिया का उपयोग कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ाने में करते हैं।
== अभ्यास प्रश्न ==
* उस एल्केन का नाम बताइए जिसे वर्ट्ज़ की अभिक्रिया से प्राप्त नहीं किया जा सकता है?
* वर्ट्ज़ की अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखें?
* [[असममित कार्बन|असममित]] एल्केन के लिए वर्ट्ज़ अभिक्रिया उपयुक्त क्यों नहीं है?

Latest revision as of 13:09, 31 May 2024

वर्ट्ज़ अभिक्रिया एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसका नाम फ्रांसीसी रसायनज्ञ चार्ल्स-एडोल्फ वर्ट्ज़ के नाम पर रखा गया है। इस अभिक्रिया का आमतौर पर कार्बनिक रसायन विज्ञान में अध्ययन किया जाता है और इसका उपयोग एल्किल हैलाइड से एल्केन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है।

ऐल्किल हैलाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया कराने पर एल्केन प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया को वुर्ट्ज अभिक्रिया कहते है। इसमें बनने वाले एल्केन में कार्बन परमाणुओ की संख्या पितृ एल्किल हैलाइड की अपेक्षा दोगुनी होती है।

अभिक्रिया में धात्विक सोडियम की उपस्थिति में दो ऐल्किल हैलाइड अणुओं का युग्मन शामिल होता है। एल्किल हैलाइड सोडियम के साथ अभिक्रिया करते हैं, रेडिकल बनाते हैं जो फिर वांछित एल्केन और सोडियम हैलाइड का उत्पादन करने के लिए संयोजित होते हैं।

यह दो चरणों में संपन्न होती है:

चरण-1 सोडियम एल्काइल का निर्माण:

R-X+Na⟶R⋅+NaX

एल्काइल हैलाइड सोडियम के साथ अभिक्रिया करके एक रेडिकल R. बनाता है।

चरण-2 रेडिकल संयोजन:

R⋅+R⋅⟶R-R

R⋅ मिलकर एल्केन बनाता है।

चरण-3 सोडियम हैलाइड का निर्माण:

उदाहरण

दो मोल एथिल आयोडाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया करने पर ब्यूटेन देता है।

दो मोल मेथिल ब्रोमाइड सोडियम धातु के साथ इथरीय माध्यम में अभिक्रिया करके एथेन देता है।

नोट

इस अभिक्रिया का उपयोग कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ाने में करते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • उस एल्केन का नाम बताइए जिसे वर्ट्ज़ की अभिक्रिया से प्राप्त नहीं किया जा सकता है?
  • वर्ट्ज़ की अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखें?
  • असममित एल्केन के लिए वर्ट्ज़ अभिक्रिया उपयुक्त क्यों नहीं है?