ऊर्जा संरक्षण का नियम: Difference between revisions
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[[File:Joule's Apparatus (Harper's Scan).png|thumb|ऊष्मा के यांत्रिक समकक्ष को मापने के लिए जूल का उपकरण। एक डोरी से जुड़ा हुआ उतरता वजन पानी में डूबे चप्पू को घुमाने का कारण बनता है।]] | |||
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आरंभिक अवस्था में विद्यमान कुल ऊर्जा=समापन अवस्था ऊर्जा में विद्यमान कुल ऊर्जा | |||
यह समीकरण | यह समीकरण, यह बतलाता है कि किसी प्रणाली के चलायमान होने पर आरंभिक ऊर्जा, उसकी समापन ऊर्जा के समतुल्य है। संरक्षण नियमों में उपयोग में आने वाले समीकरणों को यह ध्यान में रख कर रचित कीया गया है की ये समीकरण किसी भी प्रणाली में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होते देखने के लीए,उस प्रणाली की आरंभिक अवस्था में विद्यमान, सभी प्रकार की ऊर्जा का,उस ही प्रणाली की समापन अवस्था का तुलनात्मक अध्ययन करते चल रहे हैं की नहीं। | ||
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ऊर्जा संरक्षण के नियमों को समझना भौतिकी में आवश्यक है क्योंकि वे | ऊर्जा संरक्षण के नियमों को समझना भौतिकी में आवश्यक है क्योंकि वे सरल पेंडुलम से लेकर जटिल मशीनों तक भौतिक प्रणालियों के व्यवहार का विश्लेषण और भविष्यवाणी करने में सहायक है। यह एक मौलिक अवधारणा है, जो ब्रह्मांड में ऊर्जा को नियंत्रित करने वाले बुनियादी सिद्धांतों को समझाने में मदद करती है। | ||
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Latest revision as of 11:10, 23 September 2024
Laws of Conservation of Energy
ऊर्जा संरक्षण के नियम, भौतिकी के मूलभूत सिद्धांत हैं, जो बताते हैं कि किसी पृथक प्रणाली की कुल ऊर्जा समय के साथ स्थिर रहती है। इसका तात्पर्य,यह है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है; यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
ऊर्जा संरक्षण
ऊर्जा संरक्षण के नियम इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि ऊर्जा एक संरक्षित मात्रा है, जिसका अर्थ है कि यह कहीं से लापता या प्रकट नहीं होती है। इसके बदले में, यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो जाती है। इन परिवर्तनों में ऊर्जा के दो मुख्य रूप शामिल हैं:
गतिज ऊर्जा
किसी गतिमान वस्तु की ऊर्जा
जहाँ:
- गतिज ऊर्जा है (जूल, में मापा जाता है)।
- वस्तु का द्रव्यमान है (किलोग्राम, में मापा जाता है)।
- वस्तु का वेग है (मीटर प्रति सेकंड, . में मापा जाता है)।
स्थितिज ऊर्जा
किसी वस्तु की स्थिति या ऊंचाई से जुड़ी ऊर्जा।
जहाँ:
- गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा है (जूल, में मापा जाता है)।
- वस्तु का द्रव्यमान है (किलोग्राम, में मापा जाता है)।
- गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण है (पृथ्वी की सतह पर लगभग 9.81 m/s2)।
- एक संदर्भ बिंदु के ऊपर वस्तु की ऊंचाई है (मीटर, में मापा जाता है)।
मुख्य बिंदु
संरक्षण सिद्धांत
किसी पृथक प्रणाली की कुल यांत्रिक ऊर्जा (गतिज और स्थितिज ऊर्जा का योग) तब तक स्थिर रहती है जब तक घर्षण जैसी कोई बाहरी ताकत उस पर कार्य नहीं कर रही हो। इसे यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण के रूप में जाना जाता है।
ऊर्जा परिवर्तन
ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकती है। उदाहरण के लिए, जब आप किसी वस्तु को गिराते हैं, तो वह स्थितिज ऊर्जा खो देती है और गिरते ही गतिज ऊर्जा प्राप्त कर लेती है।
असंरक्षी बल
वास्तविक संसार की स्थितियों में घर्षण जैसी या-संरक्षीय बलों के साथ, कुछ यांत्रिक ऊर्जा थर्मल ऊर्जा (उष्मा ) में परिवर्तित हो जाती है, और कुल यांत्रिक ऊर्जा कम हो जाती है।
ऊर्जा संरक्षण समीकरण
ऊर्जा संरक्षण का सारांश देने वाला समीकरण है:
आरंभिक अवस्था में विद्यमान कुल ऊर्जा=समापन अवस्था ऊर्जा में विद्यमान कुल ऊर्जा
यह समीकरण, यह बतलाता है कि किसी प्रणाली के चलायमान होने पर आरंभिक ऊर्जा, उसकी समापन ऊर्जा के समतुल्य है। संरक्षण नियमों में उपयोग में आने वाले समीकरणों को यह ध्यान में रख कर रचित कीया गया है की ये समीकरण किसी भी प्रणाली में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होते देखने के लीए,उस प्रणाली की आरंभिक अवस्था में विद्यमान, सभी प्रकार की ऊर्जा का,उस ही प्रणाली की समापन अवस्था का तुलनात्मक अध्ययन करते चल रहे हैं की नहीं।
संक्षेप में
ऊर्जा संरक्षण के नियमों को समझना भौतिकी में आवश्यक है क्योंकि वे सरल पेंडुलम से लेकर जटिल मशीनों तक भौतिक प्रणालियों के व्यवहार का विश्लेषण और भविष्यवाणी करने में सहायक है। यह एक मौलिक अवधारणा है, जो ब्रह्मांड में ऊर्जा को नियंत्रित करने वाले बुनियादी सिद्धांतों को समझाने में मदद करती है।