स्थैतिककल्प प्रक्रम: Difference between revisions

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Quasi Static Process
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[[Category:उष्मागतिकी]]
वह प्रक्रम कि प्रक्रम के दौरान किसी भी क्षण निकाय ऊष्मागतिक साम्य के अत्यन्त नजदीक हो, स्थैतिक कल्प प्रक्रम कहलाता है। वह प्रक्रम कि प्रक्रम के दौरान किसी भी क्षण निकाय ऊष्मागतिक साम्य के अत्यन्त नजदीक हो, स्थैतिक कल्प प्रक्रम कहलाता है। ऊष्मागतिकी में स्थैतिककल्प प्रक्रम (quasistatic process) उन ऊष्मागतिक प्रक्रमों को कहते हैं जो 'अनन्त मन्द' गति से चलते हैं। वास्तव में कोई भी प्रक्रम पूर्णतः स्थैतिककल्प नहीं होता।
 
स्थैतिककल्प प्रक्रिया एक प्रकार की ऊष्मागतिकी प्रक्रिया है जो इतनी धीमी गति से होती है कि सिस्टम पूरी प्रक्रिया के दौरान [[ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम|ऊष्मागतिकी]] संतुलन में रहता है। "स्थैतिककल्प" शब्द का अर्थ है "लगभग स्थिर", जो दर्शाता है कि प्रक्रिया धीरे-धीरे की जाती है, जिससे सिस्टम को लगातार समायोजित करने और संतुलन के करीब रहने की अनुमति मिलती है।
 
== स्थैतिककल्प प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएँ ==
 
=== धीमी प्रगति ===
प्रक्रिया असीम रूप से धीमी गति से होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सिस्टम और परिवेश हमेशा संतुलन में रहें।
 
=== प्रतिवर्ती प्रक्रिया ===
स्थैतिककल्प प्रक्रिया को आम तौर पर प्रतिवर्ती के रूप में आदर्श माना जाता है क्योंकि इसमें कोई अचानक परिवर्तन नहीं होता है, और सिस्टम को ऊर्जा हानि के बिना अपनी प्रारंभिक अवस्था में वापस लाया जा सकता है।
 
=== ऊष्मागतिक संतुलन ===
प्रत्येक मध्यवर्ती अवस्था में, सिस्टम ऊष्मागतिक संतुलन में होता है, जिसका अर्थ है कि पूरे सिस्टम में एक समान तापमान, दबाव और अन्य गुण होते हैं।
 
=== छोटे विचलन ===
प्रक्रिया के दौरान संतुलन से कोई भी विचलन असीम रूप से छोटा होता है।
 
स्थैतिककल्प प्रक्रिया के दौरान किया गया कार्य (W) इस प्रकार दिया जाता है:
 
<math>W = P\int dV</math>
 
जहाँ:
 
P: किसी दी गई अवस्था में दबाव,
 
dV: आयतन में छोटा परिवर्तन।
 
चूँकि प्रक्रिया धीमी है और सिस्टम हमेशा संतुलन में रहता है, इसलिए हर बिंदु पर दबाव अच्छी तरह से परिभाषित होता है।
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Latest revision as of 13:54, 15 November 2024

Quasi Static Process

वह प्रक्रम कि प्रक्रम के दौरान किसी भी क्षण निकाय ऊष्मागतिक साम्य के अत्यन्त नजदीक हो, स्थैतिक कल्प प्रक्रम कहलाता है। वह प्रक्रम कि प्रक्रम के दौरान किसी भी क्षण निकाय ऊष्मागतिक साम्य के अत्यन्त नजदीक हो, स्थैतिक कल्प प्रक्रम कहलाता है। ऊष्मागतिकी में स्थैतिककल्प प्रक्रम (quasistatic process) उन ऊष्मागतिक प्रक्रमों को कहते हैं जो 'अनन्त मन्द' गति से चलते हैं। वास्तव में कोई भी प्रक्रम पूर्णतः स्थैतिककल्प नहीं होता।

स्थैतिककल्प प्रक्रिया एक प्रकार की ऊष्मागतिकी प्रक्रिया है जो इतनी धीमी गति से होती है कि सिस्टम पूरी प्रक्रिया के दौरान ऊष्मागतिकी संतुलन में रहता है। "स्थैतिककल्प" शब्द का अर्थ है "लगभग स्थिर", जो दर्शाता है कि प्रक्रिया धीरे-धीरे की जाती है, जिससे सिस्टम को लगातार समायोजित करने और संतुलन के करीब रहने की अनुमति मिलती है।

स्थैतिककल्प प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएँ

धीमी प्रगति

प्रक्रिया असीम रूप से धीमी गति से होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सिस्टम और परिवेश हमेशा संतुलन में रहें।

प्रतिवर्ती प्रक्रिया

स्थैतिककल्प प्रक्रिया को आम तौर पर प्रतिवर्ती के रूप में आदर्श माना जाता है क्योंकि इसमें कोई अचानक परिवर्तन नहीं होता है, और सिस्टम को ऊर्जा हानि के बिना अपनी प्रारंभिक अवस्था में वापस लाया जा सकता है।

ऊष्मागतिक संतुलन

प्रत्येक मध्यवर्ती अवस्था में, सिस्टम ऊष्मागतिक संतुलन में होता है, जिसका अर्थ है कि पूरे सिस्टम में एक समान तापमान, दबाव और अन्य गुण होते हैं।

छोटे विचलन

प्रक्रिया के दौरान संतुलन से कोई भी विचलन असीम रूप से छोटा होता है।

स्थैतिककल्प प्रक्रिया के दौरान किया गया कार्य (W) इस प्रकार दिया जाता है:

जहाँ:

P: किसी दी गई अवस्था में दबाव,

dV: आयतन में छोटा परिवर्तन।

चूँकि प्रक्रिया धीमी है और सिस्टम हमेशा संतुलन में रहता है, इसलिए हर बिंदु पर दबाव अच्छी तरह से परिभाषित होता है।