विलयन: Difference between revisions
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विलयन को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: | |||
=== भौतिक अवस्था के आधार पर विलयन के प्रकार === | |||
भौतिक अवस्था के आधार पर विलयन को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: | |||
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==== 3. ठोस विलयन ==== | ==== 3. ठोस विलयन ==== | ||
इस प्रकार के विलयन में विलेय गैस, द्रव या ठोस होता है परंतु विलायक ठोस होता है। | इस प्रकार के विलयन में विलेय गैस, द्रव या ठोस होता है परंतु विलायक ठोस होता है। | ||
=== विलेय की मात्रा के आधार पर विलयन के प्रकार === | |||
==== 1. तनु विलयन ==== | |||
वह विलयन जिस विलयन में विलेय की मात्रा विलायक की मात्रा से बहुत कम हो उसे तनु विलयन कहते हैं। | |||
==== 2. सान्द्र विलयन ==== | |||
वह विलयन जिस विलयन में विलेय की मात्रा विलायक की मात्रा से अधिक हो उसे सान्द्र विलयन कहते है। | |||
==== 3. संतृप्त विलयन ==== | |||
संतृप्त विलयन का अर्थ है कि एक निश्चित तापमान पर उतना ही विलेय घोला जा सकता है जितनी विलयन की क्षमता है। अर्थात यदि विलेय एक निश्चित तापमान पर किसी विलयन में नहीं घुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। | |||
==== 4. असंतृप्त विलयन ==== | |||
यदि किसी विलयन में विलेय की मात्रा संतृप्ति की मात्रा से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं। | |||
Revision as of 15:51, 22 May 2023
विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। विलयन दो पदार्थों से मिलकर बना होता है एक है विलेय और दूसरा विलायक अर्थात विलेय और विलायक के समांगी मिश्रण को विलयन कहते हैं। एक विलयन में एक विलेय और एक विलायक होता है। इसे दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगीय मिश्रण के रूप में परिभाषित किया गया है। किसी विलयन को दो भागों में बांटा जा सकता है विलेय और विलायक। विलयन का वह घटक जिनकी मात्रा दूसरे घटक से अधिक होती है और जो दुसरे घटक को विलयन में मिलाता है उसे विलायक कहते हैं। विलयन का वह घटक जो प्रायः कम मात्रा में होता है और जो विलायक में घुलता है उसे विलेय कहते हैं।
विलयन = विलायक + विलेय
उदाहरण
- चीनी और जल का विलयन एक तरल घोल है जिसमे चीनी विलेय और जल विलायक है यह द्रव घोल में ठोस का उदाहरण है।
- आयोडीन और अल्कोहल का विलयन जिसे टिंक्चर आयोडीन के नाम से जाना जाता है, इसमें आयोडीन विलेय है और अल्कोहल विलायक।
विलयन के गुण
- यह एक समांगी मिश्रण है।
- विलयन के कण व्यास में 1 nm से भी छोटे होते हैं। इसलिए वे साधारण आँख से नहीं देखे जा सकते उन्हें माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है।
- अपने छोटे आकर के कारण विलयन के कण, गुजर रही प्रकाश की किरण को फैलाते नहीं हैं। इसलिए विलयन में प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता।
- छानने की विधि द्वारा विलेय के कणों को विलयन में से पृथक् नहीं किया जा सकता है। विलयन को शांत छोड़ देने पर भी विलेय के कण नीचे नहीं बैठते हैं। अर्थात् विलयन स्थायी है।
विलयन के प्रकार
भौतिक अवस्था के आधार पर विलयन के प्रकार
भौतिक अवस्था के आधार पर विलयन को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- गैसीय विलयन
- द्रव विलयन
- ठोस विलयन
1. गैसीय विलयन
इस प्रकार के विलयन में विलेय तथा विलायक दोनो ही गैस अवस्था में होते है, तथा ये प्रत्येक अनुपात में आपस में मिल जाते है। गैसीय विलयनो में घटक के अणु स्वतंत्र रूप से विचरण करते है।
जैसे :- वायु
2. द्रव विलयन
इस प्रकार के विलयन में विलेय गैस, द्रव या ठोस के होता है, जबकि विलायक द्रव होता है।
जब जल को विलायक के रूप में काम लेते है तो ऐसे विलयन को द्रव विलयन कहते है।
उदाहरण :
जल व शर्करा
3. ठोस विलयन
इस प्रकार के विलयन में विलेय गैस, द्रव या ठोस होता है परंतु विलायक ठोस होता है।
विलेय की मात्रा के आधार पर विलयन के प्रकार
1. तनु विलयन
वह विलयन जिस विलयन में विलेय की मात्रा विलायक की मात्रा से बहुत कम हो उसे तनु विलयन कहते हैं।
2. सान्द्र विलयन
वह विलयन जिस विलयन में विलेय की मात्रा विलायक की मात्रा से अधिक हो उसे सान्द्र विलयन कहते है।
3. संतृप्त विलयन
संतृप्त विलयन का अर्थ है कि एक निश्चित तापमान पर उतना ही विलेय घोला जा सकता है जितनी विलयन की क्षमता है। अर्थात यदि विलेय एक निश्चित तापमान पर किसी विलयन में नहीं घुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं।
4. असंतृप्त विलयन
यदि किसी विलयन में विलेय की मात्रा संतृप्ति की मात्रा से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं।