संकलन अभिक्रिया: Difference between revisions

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[[Category:कार्बन एवं उसके यौगिक]]
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"ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है।" कार्बनिक रसायन विज्ञान में, सामान्यतःअसंतृप्त यौगिकों के लिए योगात्मक अभिक्रिया होती है। निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की उपस्थित में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पर हाइड्रोजन का योग करने से संतृप्त हाइड्रोकार्बन प्राप्त होता है।  
"ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है।" कार्बनिक रसायन विज्ञान में, सामान्यतःअसंतृप्त यौगिकों के लिए योगात्मक अभिक्रिया होती है। निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की उपस्थित में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पर हाइड्रोजन का योग करने से संतृप्त हाइड्रोकार्बन प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को योगात्मक अभिक्रिया कहते हैं। 
  <chem>CH2=CH2 + H2 -> CH3-CH3</chem>
  <chem>CH2=CH2 + H2 -> CH3-CH3</chem>
इस अभिक्रिया में निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं।  
इस अभिक्रिया में निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं।  
  संकलन अभिक्रिया सिर्फ असंतृप्त यौगिकों द्वारा होती है। जबकि संतृप्त यौगिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया देते हैं। संकलन अभिक्रिया द्वारा बहुत ही स्थाई यौगिक प्राप्त होता है। संकलन अभिक्रिया द्वारा बनने वाला सिग्मा बंध अत्यधिक स्थायी होता है।
  संकलन अभिक्रिया सिर्फ असंतृप्त यौगिकों द्वारा होती है। जबकि संतृप्त यौगिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया देते हैं। संकलन अभिक्रिया द्वारा बहुत ही स्थाई यौगिक प्राप्त होता है। संकलन अभिक्रिया द्वारा बनने वाला सिग्मा बंध अत्यधिक स्थायी होता है।

Revision as of 10:00, 13 June 2023

"ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है।" कार्बनिक रसायन विज्ञान में, सामान्यतःअसंतृप्त यौगिकों के लिए योगात्मक अभिक्रिया होती है। निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की उपस्थित में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पर हाइड्रोजन का योग करने से संतृप्त हाइड्रोकार्बन प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को योगात्मक अभिक्रिया कहते हैं।


इस अभिक्रिया में निकिल तथा पैलेडियम उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं।

संकलन अभिक्रिया सिर्फ असंतृप्त यौगिकों द्वारा होती है। जबकि संतृप्त यौगिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया देते हैं। संकलन अभिक्रिया द्वारा बहुत ही स्थाई यौगिक प्राप्त होता है। संकलन अभिक्रिया द्वारा बनने वाला सिग्मा बंध अत्यधिक स्थायी होता है।