पूर्ण तापमान स्केल: Difference between revisions

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कैल्विन पैमाने पर मापे गए ताप को परम ताप या परम पैमाना कहते हैं।
कैल्विन पैमाने पर मापे गए ताप को परम ताप या परम पैमाना कहते हैं।
ऊष्मागतिक ताप को ऊष्मागतिकी के तृतीय नियम की सहायता से परिभाषित किया जाता है, जिसमें सैद्धान्तिक रूप से जो सबसे कम ताप सम्भव है उसे शून्य बिन्दु (परम शून्य) कहते हैं। 'परम शून्य' (ऐब्सोल्यूट जीरो) न्यूनतम सम्भव ताप है तथा इससे कम कोई ताप संभव नही है। इस ताप पर पदार्थ के अणुओं की गति शून्य हो जाती है। इसका मान -273 डिग्री सेन्टीग्रेड होता हैं।

Revision as of 12:30, 8 August 2023

परम ताप वह न्यूनतम सम्भव ताप है जिसके नीचे कोई ताप संभव नहीं है। इस ताप पर गैसों के अणुओं की गति शून्य हो जाती है। इसका मान -273.15°C होता है। इसे केल्विन में व्यक्त करते हैं। परम पैमाना या परम ताप को कैल्विन पैमाना भी कहा जाता है। इस पैमाने को लॉर्ड कैल्विन ने सन 1852 में दिया था। इसमें हिमांक को 273 k तथा भाप बिंदु को 373 k मानकर उनके अंतर को 100 डिग्रियों में बांटा गया है। इस प्रकार, 1 कैल्विन डिग्री ठीक 1 सेंटीग्रेड डिग्री के बराबर होती है। अतः सेंटीग्रेड पैमाने पर मापे गए ताप में 273 जोड़कर उसका मान कैल्विन पैमाने पर प्राप्त किया जा सकता है। यदि किसी वस्तु का ताप सेंटीग्रेड पैमाने पर C हो तो कैल्विन पैमाने पर उसका मान

K = 273 + C

अथवा

C = K - 273

कैल्विन पैमाने पर मापे गए ताप को परम ताप या परम पैमाना कहते हैं।

ऊष्मागतिक ताप को ऊष्मागतिकी के तृतीय नियम की सहायता से परिभाषित किया जाता है, जिसमें सैद्धान्तिक रूप से जो सबसे कम ताप सम्भव है उसे शून्य बिन्दु (परम शून्य) कहते हैं। 'परम शून्य' (ऐब्सोल्यूट जीरो) न्यूनतम सम्भव ताप है तथा इससे कम कोई ताप संभव नही है। इस ताप पर पदार्थ के अणुओं की गति शून्य हो जाती है। इसका मान -273 डिग्री सेन्टीग्रेड होता हैं।