ध्रुवण समावयवता: Difference between revisions

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वे दो या दो से अधिक यौगिक जिनके रासायनिक सूत्र समान होते हैं परन्तु परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न भिन्न होती है समावयवी कहलाते हैं। परमाणुओं की भिन्न भिन्न व्यवस्था के कारण उपसहसंयोजक यौगिकों में दो प्रमुख प्रकार की उपसहसंयोजक समावयवता प्रदर्शित करते हैं।
*त्रिविम समावयवता
*संरचनात्मक समावयवता
==त्रिविम समावयवता==
त्रिविम समावयवता दो प्रकार के होते हैं।
#ज्यामितीय समावयवता
#ध्रुवण समावयवता
==संरचनात्मक समावयवता==
संरचनात्मक समावयवता दो प्रकार के होते हैं।
#बंधनी समावयवता
#आयन समावयवता
#उपसहसंयोजन समावयवता
#विलायकयोजन समावयवता
== ध्रुवण समावयवता ==
ध्रुवण समावयवी एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं इन्हे एक दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता। इन्हे प्रतिबिम्ब रूप या एनैिनटओमर कहते हैं। अणु अथवा आयन जो की एक दूसरे के ऊपर अध्यारोपित नहीं किये जा सकते काइरल कहलाते हैं। ये दो रूप दक्षिण ध्रुवण घूर्णक (d) और वामावर्ती (l) कहलाते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये ध्रुवणमापी में समतल ध्रुवित प्रकाश को किस दिशा में घूर्णित करते हैं। इसमें d हमेशा दायीं तरफ घूर्णित करता है और l बायीं तरफ घूर्णित  करता है। प्रकाशिक समावयवता सामान्य रूप से द्विदन्तुर लिगेंड युक्त अष्टफल्कीय संकुलों में पाई जाती है।
=== उदाहरण ===
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Revision as of 11:12, 20 March 2024

वे दो या दो से अधिक यौगिक जिनके रासायनिक सूत्र समान होते हैं परन्तु परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न भिन्न होती है समावयवी कहलाते हैं। परमाणुओं की भिन्न भिन्न व्यवस्था के कारण उपसहसंयोजक यौगिकों में दो प्रमुख प्रकार की उपसहसंयोजक समावयवता प्रदर्शित करते हैं।

  • त्रिविम समावयवता
  • संरचनात्मक समावयवता

त्रिविम समावयवता

त्रिविम समावयवता दो प्रकार के होते हैं।

  1. ज्यामितीय समावयवता
  2. ध्रुवण समावयवता

संरचनात्मक समावयवता

संरचनात्मक समावयवता दो प्रकार के होते हैं।

  1. बंधनी समावयवता
  2. आयन समावयवता
  3. उपसहसंयोजन समावयवता
  4. विलायकयोजन समावयवता

ध्रुवण समावयवता

ध्रुवण समावयवी एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं इन्हे एक दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता। इन्हे प्रतिबिम्ब रूप या एनैिनटओमर कहते हैं। अणु अथवा आयन जो की एक दूसरे के ऊपर अध्यारोपित नहीं किये जा सकते काइरल कहलाते हैं। ये दो रूप दक्षिण ध्रुवण घूर्णक (d) और वामावर्ती (l) कहलाते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये ध्रुवणमापी में समतल ध्रुवित प्रकाश को किस दिशा में घूर्णित करते हैं। इसमें d हमेशा दायीं तरफ घूर्णित करता है और l बायीं तरफ घूर्णित  करता है। प्रकाशिक समावयवता सामान्य रूप से द्विदन्तुर लिगेंड युक्त अष्टफल्कीय संकुलों में पाई जाती है।

उदाहरण