अक्रिस्टलीय ठोस: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Line 1: Line 1:
[[Category:ठोस अवस्था]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:भौतिक रसायन]]
[[Category:ठोस अवस्था]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:भौतिक रसायन]]
ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं।
ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।
 
अक्रिस्टलीय ठोस गरम करने पर नरम हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उनकी श्यानता  इतनी कम हो जाती है कि वे द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं। इन पदार्थों का कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। इसलिए इनको अत्यधिक श्यानता वाले अतिशीतलित (सुपरकूल्ड) द्रव भी कहा जाता है। काँच, मोम, वसा, अलकतरा (डामर) आदि अकेलास ठोस में से हैं।


== ठोस के रूप ==
== ठोस के रूप ==
Line 10: Line 12:
ग्लास, रबर, प्लास्टिक आदि।
ग्लास, रबर, प्लास्टिक आदि।


अनाकार ठोस में तीव्र गलनांक नहीं होते हैं:  
=== अनाकार ठोस की विशेषताएं ===
 
* अनाकार ठोस में तीव्र गलनांक नहीं होते हैं:
* जब कांच को गर्म किया जाता है, तो यह नरम हो जाता है और फिर ठोस से द्रव अवस्था में बिना किसी अचानक परिवर्तन के बहने लगता है।
* अनाकार पदार्थ वास्तविक ठोस नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें द्रव  और ठोस के बीच मध्यवर्ती माना जा सकता है।


उदाहरण के लिए, जब कांच को गर्म किया जाता है, तो यह नरम हो जाता है और फिर ठोस से द्रव अवस्था में बिना किसी अचानक परिवर्तन के बहने लगता है।
* अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कणों की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती है।
* ये द्रव की तरह बहने का गुण प्रदर्शित करते हैं इसलिए इन्हे अतिशीतत द्रव भी खा जाता है।
* इनका गलनांक निश्चित नहीं होता है।
* इनके अवयवी कणों की व्यवस्था अनियमित होती है।

Revision as of 12:54, 18 December 2023

ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।

अक्रिस्टलीय ठोस गरम करने पर नरम हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उनकी श्यानता  इतनी कम हो जाती है कि वे द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं। इन पदार्थों का कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। इसलिए इनको अत्यधिक श्यानता वाले अतिशीतलित (सुपरकूल्ड) द्रव भी कहा जाता है। काँच, मोम, वसा, अलकतरा (डामर) आदि अकेलास ठोस में से हैं।

ठोस के रूप

अनाकार ठोस

अमोर्फस शब्द ग्रीक शब्द 'ओमोर्फे' से लिया गया है जिसका अर्थ है आकारहीन। अमोर्फस ठोसों में घटक अणुओं की व्यवस्था नियमित नहीं बल्कि अनियमित होती है। हालाँकि इन ठोसों में कठोरता, असंपीड्यता, अपवर्तनांक आदि जैसे कुछ यांत्रिक गुण होते हैं, लेकिन इनमें विशिष्ट आकृतियाँ या ज्यामितीय रूप नहीं होते हैं। अनाकार ठोस कई मायनों में द्रव पदार्थ से मिलते जुलते हैं जो कमरे के ताप पर बहुत धीमी गति से बहते हैं और सुपरकोल्ड द्रव पदार्थ के रूप में माने जाते हैं जिसमें अणुओं को एक साथ रखने वाले एकजुट बल इतने प्रबल होते हैं कि ठोस का निर्माण होता है लेकिन संरचना की कोई नियमितता नहीं होती है।

उदाहरण

ग्लास, रबर, प्लास्टिक आदि।

अनाकार ठोस की विशेषताएं

  • अनाकार ठोस में तीव्र गलनांक नहीं होते हैं:
  • जब कांच को गर्म किया जाता है, तो यह नरम हो जाता है और फिर ठोस से द्रव अवस्था में बिना किसी अचानक परिवर्तन के बहने लगता है।
  • अनाकार पदार्थ वास्तविक ठोस नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें द्रव  और ठोस के बीच मध्यवर्ती माना जा सकता है।
  • अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कणों की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती है।
  • ये द्रव की तरह बहने का गुण प्रदर्शित करते हैं इसलिए इन्हे अतिशीतत द्रव भी खा जाता है।
  • इनका गलनांक निश्चित नहीं होता है।
  • इनके अवयवी कणों की व्यवस्था अनियमित होती है।