तुल्यकाली उपग्रह: Difference between revisions
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भूस्थैतिक उपग्रह एक प्रकार का उपग्रह है जो भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसकी कक्षीय अवधि पृथ्वी की घूर्णन अवधि से मेल खाती है, जो इसे पृथ्वी की सतह पर एक विशिष्ट स्थान के सापेक्ष स्थिर रहने में सक्षम बनाती है। भूस्थैतिक उपग्रहों का व्यापक रूप से उपग्रह संचार, टेलीविजन प्रसारण, मौसम की निगरानी और अन्य अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है जिनके लिए बड़े क्षेत्रों में निरंतर और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता होती है। | भूस्थैतिक उपग्रह एक प्रकार का उपग्रह है जो भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसकी कक्षीय अवधि पृथ्वी की घूर्णन अवधि से मेल खाती है, जो इसे पृथ्वी की सतह पर एक विशिष्ट स्थान के सापेक्ष स्थिर रहने में सक्षम बनाती है। भूस्थैतिक उपग्रहों का व्यापक रूप से उपग्रह संचार, टेलीविजन प्रसारण, मौसम की निगरानी और अन्य अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है जिनके लिए बड़े क्षेत्रों में निरंतर और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता होती है। | ||
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Geostationary satellite
तुल्यकाली (भूस्थैतिक) उपग्रह एक प्रकार का उपग्रह है जो एक विशिष्ट दूरी पर और एक विशिष्ट प्रकार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जिससे यह पृथ्वी की सतह पर एक विशिष्ट स्थान के सापेक्ष स्थिर रह सकता है। यह उपग्रह संचार में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है और इसका व्यापक रूप से टेलीविजन प्रसारण, मौसम निगरानी और दूरसंचार सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
उपग्रह कक्षाओं की मूल अवधारणा
भूस्थिर उपग्रहों को समझने के लिए, हम उपग्रह कक्षाओं की मूल अवधारणा को समझकर आरंभ कर सकते हैं।
उपग्रह वे वस्तुएं हैं, जो पृथ्वी जैसे बड़े खगोलीय पिंड के चारों ओर परिक्रमा करती हैं। उपग्रह और आकाशीय पिंड के बीच गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वे विशिष्ट पथों में चलते हैं जिन्हें कक्षा कहा जाता है। विभिन्न प्रकार की कक्षाएँ विद्यमान हैं, जिनमें निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO), मध्यम पृथ्वी कक्षा (MEO), और उच्च पृथ्वी कक्षा (HEO) शामिल हैं।
एक भूस्थैतिक उपग्रह को एक विशिष्ट प्रकार की उच्च पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया जाता है जिसे भूस्थैतिक कक्षा कहा जाता है। इस कक्षा में, उपग्रह की कक्षीय अवधि (पृथ्वी के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करने में लगने वाला समय) पृथ्वी की घूर्णन अवधि (पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में लगने वाला समय) से मेल खाती है। इसका मतलब यह है कि उपग्रह पृथ्वी की सतह पर एक पर्यवेक्षक के सापेक्ष आकाश में एक विशेष बिंदु पर स्थिर रहता प्रतीत होता है।
भूस्थिर कक्षा को प्राप्त करने के लिए, एक उपग्रह को आमतौर पर पृथ्वी के भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 किलोमीटर (22,236 मील) की ऊंचाई पर रखा जाता है। यह ऊंचाई उपग्रह को पृथ्वी की घूर्णन अवधि से मेल खाते हुए 24 घंटे की कक्षीय अवधि की अनुमति देती है।
भूस्थैतिक उपग्रहों का मुख्य लाभ जमीन पर एक पर्यवेक्षक के दृष्टिकोण से आकाश में एक निश्चित स्थिति बनाए रखने की उनकी क्षमता है। यह विशेषता उन अनुप्रयोगों के लिए मूल्यवान है जिनके लिए उपग्रह के साथ निरंतर संचार की आवश्यकता होती है, जैसे टेलीविजन प्रसारण, मौसम की निगरानी और दूरसंचार।
उदाहरण के लिए, टेलीविजन प्रसारक पृथ्वी पर बड़े क्षेत्रों में सिग्नल प्रसारित करने के लिए भूस्थैतिक उपग्रहों का उपयोग करते हैं। चूँकि उपग्रह पृथ्वी की सतह के सापेक्ष स्थिर रहता है, दर्शक अपने एंटेना को एक निश्चित दिशा में इंगित कर सकते हैं, जिससे टेलीविजन सिग्नलों का निर्बाध संचार संभव हो पाता है।
नोट : यहाँ यह भी ध्यान में रखना होगा, यद्यपि यह लेख उपग्रहों को परिभाषित करने के लीये नहीं है, परंतु उपग्रहों को मुख्यतः मानव निर्मित मशीन व प्राकृत श्रेणीयों में जाना जाता है ।
संक्षेप में
भूस्थैतिक उपग्रह एक प्रकार का उपग्रह है जो भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसकी कक्षीय अवधि पृथ्वी की घूर्णन अवधि से मेल खाती है, जो इसे पृथ्वी की सतह पर एक विशिष्ट स्थान के सापेक्ष स्थिर रहने में सक्षम बनाती है। भूस्थैतिक उपग्रहों का व्यापक रूप से उपग्रह संचार, टेलीविजन प्रसारण, मौसम की निगरानी और अन्य अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है जिनके लिए बड़े क्षेत्रों में निरंतर और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता होती है।