कशेरुकी: Difference between revisions
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कशेरुक कॉर्डेटा के उपसंघ हैं जिन्हें ऐसे जीव के रूप में परिभाषित किया गया है जिनके पास कशेरुक स्तंभ है। जीवित कशेरुकी जंतुओं का आकार मेंढक पेडोफ्रीन अमाउएंसिस की प्रजाति से लेकर 7.7 मिलीमीटर से लेकर ब्लू व्हेल तक होता है जो 30 मीटर तक होता है। मछलियाँ, पक्षी, [[उभयचर]], [[सरीसृप]] और स्तनधारी सभी कशेरुक जानवर हैं क्योंकि इन सभी में रीढ़ की हड्डी होती है। | |||
कशेरुक कॉर्डेटा के उपसंघ हैं जिन्हें ऐसे जीव के रूप में परिभाषित किया गया है जिनके पास कशेरुक स्तंभ है। जीवित कशेरुकी जंतुओं का आकार मेंढक पेडोफ्रीन अमाउएंसिस की प्रजाति से लेकर 7.7 मिलीमीटर से लेकर ब्लू व्हेल तक होता है जो 30 मीटर तक होता है। मछलियाँ, पक्षी, उभयचर, सरीसृप और स्तनधारी सभी कशेरुक जानवर हैं क्योंकि इन सभी में रीढ़ की हड्डी होती है। | |||
== कशेरुकियों की विशेषता == | == कशेरुकियों की विशेषता == | ||
1.) नोटोकॉर्ड भ्रूण में उपस्थित होता है जो कशेरुक स्तंभों में विकसित होता है। | 1.) नोटोकॉर्ड भ्रूण में उपस्थित होता है जो कशेरुक स्तंभों में विकसित होता है। | ||
2.) कशेरुकियों का मस्तिष्क सुविकसित होता है,जो कपाल से ढका होता | 2.) कशेरुकियों का [[मस्तिष्क]] सुविकसित होता है,जो कपाल से ढका होता है। | ||
4.) अधिकांश कशेरुकियों का अन्तःकंकाल उपास्थि या हड्डी से बना होता है। | 3.) कशेरुकियों में नॉटोकॉर्ड होता है जो प्रारंभिक भ्रूण में आदिम आंत के पृष्ठीय भाग पर बनता है। | ||
4.) अधिकांश कशेरुकियों का अन्तःकंकाल [[उपास्थि]] या हड्डी से बना होता है। | |||
5.) कशेरुकाओं में तंत्रिकाओं का एक बंडल कशेरुका स्तंभ के ऊपर चलता है और आहार नाल इसके नीचे उपस्थित होती है। | 5.) कशेरुकाओं में तंत्रिकाओं का एक बंडल कशेरुका स्तंभ के ऊपर चलता है और आहार नाल इसके नीचे उपस्थित होती है। | ||
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== कशेरुकियों का वर्गीकरण == | == कशेरुकियों का वर्गीकरण == | ||
कशेरुकियों को उनकी शारीरिक और शारीरिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है - | कशेरुकियों को उनकी शारीरिक और शारीरिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है - | ||
=== सस्तन प्राणी (स्तनधारी) === | === सस्तन प्राणी (स्तनधारी) === | ||
स्तनपायी एक कशेरुकी प्राणी है जिसमें अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए दूध पैदा करने वाली स्तन ग्रंथियां, मस्तिष्क का एक नियोकोर्टेक्स क्षेत्र, फर या बाल और तीन मध्य कान की हड्डियां होती हैं।स्तनधारियों के उदाहरणों में चूहे, बिल्ली, कुत्ते, हिरण, बंदर, वानर, चमगादड़, व्हेल, डॉल्फ़िन और मनुष्य सम्मिलित हैं। | स्तनपायी एक कशेरुकी प्राणी है जिसमें अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए दूध पैदा करने वाली स्तन ग्रंथियां, [[मस्तिष्क]] का एक नियोकोर्टेक्स क्षेत्र, फर या बाल और तीन मध्य कान की हड्डियां होती हैं।स्तनधारियों के उदाहरणों में चूहे, बिल्ली, कुत्ते, हिरण, बंदर, वानर, चमगादड़, व्हेल, डॉल्फ़िन और मनुष्य सम्मिलित हैं। | ||
=== पक्षी (एवेस) === | === पक्षी (एवेस) === | ||
पंख वाले या उड़ने वाले किसी भी जन्तु को पक्षी कहा जाता है। इनका शरीर पंखों से ढँका होता है। सभी प्राणियों में पक्षी सबसे अधिक सुन्दर एवं आकर्षक प्राणी हैं। पंख रहते हुए भी कुछ पक्षी उड़ नहीं सकते हैं परन्तु अधिकतर पक्षी आकाश में उड़ते हैं। एव्स गर्म रक्त वाली प्रजातियां हैं जिनके पैरों पर शल्क होते हैं। | पंख वाले या उड़ने वाले किसी भी जन्तु को पक्षी कहा जाता है। इनका शरीर पंखों से ढँका होता है। सभी प्राणियों में पक्षी सबसे अधिक सुन्दर एवं आकर्षक प्राणी हैं। पंख रहते हुए भी कुछ पक्षी उड़ नहीं सकते हैं परन्तु अधिकतर पक्षी आकाश में उड़ते हैं। एव्स गर्म रक्त वाली प्रजातियां हैं जिनके पैरों पर शल्क होते हैं। | ||
=== सरीसृप (रेप्टिलिया) === | === सरीसृप (रेप्टिलिया) === | ||
सरीसृप वायु-श्वास लेने वाले, ठंडे खून वाले कशेरुक हैं जिनके बाल या पंख के बजाय शल्कदार शरीर होते हैं; अधिकांश सरीसृप प्रजातियाँ अंडे देने वाले जीव हैं। सरीसृप अधिकतर स्थलीय प्राणी हैं। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाये जाते हैं। कर्णपटह झिल्ली बाहरी कान का प्रतिनिधित्व करती है। दो जोड़ी पैर उपस्थित हो सकते हैं। इनमें मगरमच्छ, सांप, छिपकली, और कछुए सम्मिलित हैं। सभी सरीसृप नियमित रूप से अपनी त्वचा की बाहरी परत छोड़ते हैं और उनका चयापचय उनके पर्यावरण के तापमान पर निर्भर करता है। | [[सरीसृप]] वायु-श्वास लेने वाले, ठंडे खून वाले कशेरुक हैं जिनके बाल या पंख के बजाय शल्कदार शरीर होते हैं; अधिकांश सरीसृप प्रजातियाँ अंडे देने वाले जीव हैं। सरीसृप अधिकतर स्थलीय प्राणी हैं। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाये जाते हैं। कर्णपटह झिल्ली बाहरी कान का प्रतिनिधित्व करती है। दो जोड़ी पैर उपस्थित हो सकते हैं। इनमें मगरमच्छ, सांप, छिपकली, और कछुए सम्मिलित हैं। सभी सरीसृप नियमित रूप से अपनी त्वचा की बाहरी परत छोड़ते हैं और उनका चयापचय उनके पर्यावरण के तापमान पर निर्भर करता है। | ||
[[File:Australia green tree frog (Litoria caerulea) crop.jpg|thumb|223x223px|उभयचर]] | [[File:Australia green tree frog (Litoria caerulea) crop.jpg|thumb|223x223px|उभयचर]] | ||
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=== बोनी मछलियाँ (ओस्टिचथिस) === | === बोनी मछलियाँ (ओस्टिचथिस) === | ||
अस्थिल मत्स्य वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा मीठा दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनका अन्तःकंकाल अस्थियों से बना होता है। मछलियों के इस वर्ग की विशेषता उनका कंकाल है जो उपास्थि के बजाय हड्डी से बना होता है। इनका शरीर धारारेखित होता है। मुख अधिकांशतः अग्र सिरे के अन्त में होता है। इनमें चार जोड़ी क्लोम छिद्र दोनों ओर प्रच्छद से ढके रहते हैं। त्वचा शल्क से ढकी रहती है। | अस्थिल [[मत्स्य-डिम्भ|मत्स्य]] वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा मीठा दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनका अन्तःकंकाल अस्थियों से बना होता है। मछलियों के इस वर्ग की विशेषता उनका कंकाल है जो उपास्थि के बजाय हड्डी से बना होता है। इनका शरीर धारारेखित होता है। मुख अधिकांशतः अग्र सिरे के अन्त में होता है। इनमें चार जोड़ी क्लोम छिद्र दोनों ओर प्रच्छद से ढके रहते हैं। त्वचा [[शल्की उपकला|शल्क]] से ढकी रहती है। | ||
=== कार्टिलाजिनस मछलियाँ (चॉन्ड्रिचथिस) === | === कार्टिलाजिनस मछलियाँ (चॉन्ड्रिचथिस) === | ||
चोंड्रिचथिस जबड़े वाली मछली का एक वर्ग है जिसके सभी कंकाल मुख्य रूप से उपास्थि से बने होते हैं। ये युग्मित पंख, युग्मित नर, प्लेकॉइड शल्क, हृदय में कोनस आर्टेरियोसस वाले जलीय कशेरुक हैं। इसमें शार्क, रे, स्केट्स और सॉफ़िश सम्मिलित हैं। | चोंड्रिचथिस जबड़े वाली मछली का एक वर्ग है जिसके सभी कंकाल मुख्य रूप से उपास्थि से बने होते हैं। ये युग्मित पंख, युग्मित नर, प्लेकॉइड शल्क, हृदय में कोनस आर्टेरियोसस वाले जलीय कशेरुक हैं। इसमें शार्क, रे, स्केट्स और सॉफ़िश सम्मिलित हैं। | ||
Latest revision as of 11:20, 10 June 2024
कशेरुक कॉर्डेटा के उपसंघ हैं जिन्हें ऐसे जीव के रूप में परिभाषित किया गया है जिनके पास कशेरुक स्तंभ है। जीवित कशेरुकी जंतुओं का आकार मेंढक पेडोफ्रीन अमाउएंसिस की प्रजाति से लेकर 7.7 मिलीमीटर से लेकर ब्लू व्हेल तक होता है जो 30 मीटर तक होता है। मछलियाँ, पक्षी, उभयचर, सरीसृप और स्तनधारी सभी कशेरुक जानवर हैं क्योंकि इन सभी में रीढ़ की हड्डी होती है।
कशेरुकियों की विशेषता
1.) नोटोकॉर्ड भ्रूण में उपस्थित होता है जो कशेरुक स्तंभों में विकसित होता है।
2.) कशेरुकियों का मस्तिष्क सुविकसित होता है,जो कपाल से ढका होता है।
3.) कशेरुकियों में नॉटोकॉर्ड होता है जो प्रारंभिक भ्रूण में आदिम आंत के पृष्ठीय भाग पर बनता है।
4.) अधिकांश कशेरुकियों का अन्तःकंकाल उपास्थि या हड्डी से बना होता है।
5.) कशेरुकाओं में तंत्रिकाओं का एक बंडल कशेरुका स्तंभ के ऊपर चलता है और आहार नाल इसके नीचे उपस्थित होती है।
6.) खोखली तंत्रिका रज्जु में कशेरुकियों का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र होता है जो जीव की लंबाई के साथ चलता है।
7.) कशेरुकियों में हृदय और एक बंद परिसंचरण तंत्र होता है।
8.) महासागरों में पहला कशेरुक लगभग 470 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुआ था। वे एक दुम के पंख वाली बिना जबड़े वाली मछलियाँ थीं।
कशेरुकियों का वर्गीकरण
कशेरुकियों को उनकी शारीरिक और शारीरिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है -
सस्तन प्राणी (स्तनधारी)
स्तनपायी एक कशेरुकी प्राणी है जिसमें अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए दूध पैदा करने वाली स्तन ग्रंथियां, मस्तिष्क का एक नियोकोर्टेक्स क्षेत्र, फर या बाल और तीन मध्य कान की हड्डियां होती हैं।स्तनधारियों के उदाहरणों में चूहे, बिल्ली, कुत्ते, हिरण, बंदर, वानर, चमगादड़, व्हेल, डॉल्फ़िन और मनुष्य सम्मिलित हैं।
पक्षी (एवेस)
पंख वाले या उड़ने वाले किसी भी जन्तु को पक्षी कहा जाता है। इनका शरीर पंखों से ढँका होता है। सभी प्राणियों में पक्षी सबसे अधिक सुन्दर एवं आकर्षक प्राणी हैं। पंख रहते हुए भी कुछ पक्षी उड़ नहीं सकते हैं परन्तु अधिकतर पक्षी आकाश में उड़ते हैं। एव्स गर्म रक्त वाली प्रजातियां हैं जिनके पैरों पर शल्क होते हैं।
सरीसृप (रेप्टिलिया)
सरीसृप वायु-श्वास लेने वाले, ठंडे खून वाले कशेरुक हैं जिनके बाल या पंख के बजाय शल्कदार शरीर होते हैं; अधिकांश सरीसृप प्रजातियाँ अंडे देने वाले जीव हैं। सरीसृप अधिकतर स्थलीय प्राणी हैं। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाये जाते हैं। कर्णपटह झिल्ली बाहरी कान का प्रतिनिधित्व करती है। दो जोड़ी पैर उपस्थित हो सकते हैं। इनमें मगरमच्छ, सांप, छिपकली, और कछुए सम्मिलित हैं। सभी सरीसृप नियमित रूप से अपनी त्वचा की बाहरी परत छोड़ते हैं और उनका चयापचय उनके पर्यावरण के तापमान पर निर्भर करता है।
उभयचर (उभयचर)
उभयचर चार अंगों वाले कशेरुक हैं, जो जमीन और पानी दोनों पर रहते हैं, और उभयचर वर्ग का गठन करते हैं जो कॉर्डेटा फ़ाइलम के अंतर्गत आते हैं। वे एक पैराफाईलेटिक समूह हैं जिसमें एमनियोट्स को छोड़कर सभी टेट्रापोड सम्मिलित हैं। इसमें लगभग तीन हजार प्रजातियाँ सम्मिलित हैं।
बोनी मछलियाँ (ओस्टिचथिस)
अस्थिल मत्स्य वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा मीठा दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनका अन्तःकंकाल अस्थियों से बना होता है। मछलियों के इस वर्ग की विशेषता उनका कंकाल है जो उपास्थि के बजाय हड्डी से बना होता है। इनका शरीर धारारेखित होता है। मुख अधिकांशतः अग्र सिरे के अन्त में होता है। इनमें चार जोड़ी क्लोम छिद्र दोनों ओर प्रच्छद से ढके रहते हैं। त्वचा शल्क से ढकी रहती है।
कार्टिलाजिनस मछलियाँ (चॉन्ड्रिचथिस)
चोंड्रिचथिस जबड़े वाली मछली का एक वर्ग है जिसके सभी कंकाल मुख्य रूप से उपास्थि से बने होते हैं। ये युग्मित पंख, युग्मित नर, प्लेकॉइड शल्क, हृदय में कोनस आर्टेरियोसस वाले जलीय कशेरुक हैं। इसमें शार्क, रे, स्केट्स और सॉफ़िश सम्मिलित हैं।
जबड़े रहित मछलियाँ (अग्नथा)
ये बहुत ही आदिम मछलियाँ हैं जिनमें लाखों वर्षों से कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है। इनका जबड़ा रहित, गोलाकार मुंह होता है जिसके छोटे-छोटे नुकीले सिरों की कतारें होती हैं। इस वर्ग के अधिकांश सदस्य परजीवी हैं।
अभ्यास प्रश्न
- हमें कशेरुकी प्राणी क्यों कहा जाता है?
- कशेरुक और अकशेरुकी में क्या अंतर है?
- कशेरुकियों की विशेषता क्या है?