कोरस्पर्शी: Difference between revisions

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जब चक्र के बाह्यदल अथवा दल एक दूसरे के किनारों को केवल स्पर्श करते हों उसे कोरस्पर्शी कहते हैं; जैसे केलोट्रॉपिस । यदि किसी [[दललग्न (एपिपेटलस)|दल]] अथवा बाह्य दल का किनारा अगले दल पर तथा दूसरे तीसरे आदि पर अतिव्याप्त हो तो उसे व्यावर्तित कहते हैं । इसके उदाहरण: गुडहल, भिंडी तथा कपास हैं। फूल वाले पौधों में, आइसोट्रोपिक शब्द का अर्थ एक प्रकार की वृद्धि या विकास से है, जहाँ विस्तार सभी दिशाओं में समान रूप से होता है। यह आमतौर पर कोशिका वृद्धि के शुरुआती चरणों में देखा जाता है जब कोशिकाएँ सभी अक्षों पर समान दर से बढ़ती हैं, एक गोलाकार या गोल आकार बनाए रखती हैं। कोरस्पर्शी फूल की कली में बाह्यदल या पंखुड़ियों की एक विशिष्ट प्रकार की व्यवस्था को संदर्भित करता है। यह वर्णन करता है कि जब फूल अभी भी कली अवस्था में होता है, तो ये [[पुष्प]] भाग एक दूसरे के साथ कैसे स्थित या ओवरलैप होते हैं।
== कोरस्पर्शी एस्टिवेशन ==
कोरस्पर्शी एस्टिवेशन एक प्रकार की व्यवस्था है, जहाँ बाह्यदल या पंखुड़ियाँ एक दूसरे को किनारे से किनारे तक छूती हैं, लेकिन ओवरलैप नहीं होती हैं। इस व्यवस्था में, आसन्न बाह्यदल या पंखुड़ियों के किनारे ओवरलैप या मुड़े बिना ही मिलते हैं।
=== विशेषता ===
कोरस्पर्शी एस्टिवेशन वाली फूल की कली में, प्रत्येक बाह्यदल या पंखुड़ी अगले बाह्यदल के साथ बिल्कुल किनारे पर मिलती है, जिससे एक बंद संरचना बनती है जिसमें कोई अंदर या बाहर की ओर मोड़ नहीं होता है।
=== कोरस्पर्शी एस्टिवेशन के उदाहरण ===
* कैलोट्रोपिस: कोरस्पर्शी एस्टिवेशन वाले पौधे का एक सामान्य उदाहरण कैलोट्रोपिस का फूल है, जहाँ कली में पंखुड़ियाँ या बाह्यदल किनारे से किनारे तक व्यवस्थित होते हैं।
* ब्रैसिकेसी परिवार: सरसों परिवार (ब्रैसिकेसी) के कई सदस्य भी कोरस्पर्शी एस्टिवेशन दिखाते हैं।
== आइसोट्रोपिक बनाम अनिसोट्रोपिक वृद्धि ==
'''आइसोट्रोपिक वृद्धि:''' [[वृद्धि]] सभी दिशाओं में समान दर से होती है। यह आमतौर पर युवा पौधों की [[कोशिका]]ओं में या कोशिका विकास के शुरुआती चरणों के दौरान देखा जाता है।
'''अनिसोट्रोपिक वृद्धि:''' वृद्धि दर अलग-अलग अक्षों पर अलग-अलग होती है, जिससे लम्बी या दिशात्मक वृद्धि होती है। यह आमतौर पर अधिक परिपक्व कोशिकाओं में देखा जाता है, जैसे कि तने या जड़ों में, जहाँ एक विशेष दिशा में वृद्धि पौधे को संरचनात्मक या कार्यात्मक अनुकूलन प्राप्त करने में मदद करती है।
== अभ्यास प्रश्न ==
* कोरस्पर्शी को परिभाषित करें। यह ट्विस्टेड एस्टिवेशन से किस प्रकार भिन्न है?
* पौधों की पहचान और वर्गीकरण में कोरस्पर्शी के महत्व को समझाइए।
* बाह्यदल या पंखुड़ियों की व्यवस्था के संदर्भ में कोरस्पर्शी की मुख्य विशेषता क्या है?
* ऐसे पौधों के दो उदाहरण दीजिए जो कोरस्पर्शी दिखाते हैं।
* उपयुक्त आरेखों के साथ वाल्वेट, ट्विस्टेड और इम्ब्रिकेट एस्टिवेशन की तुलना और अंतर बताइए।

Revision as of 08:50, 29 September 2024

जब चक्र के बाह्यदल अथवा दल एक दूसरे के किनारों को केवल स्पर्श करते हों उसे कोरस्पर्शी कहते हैं; जैसे केलोट्रॉपिस । यदि किसी दल अथवा बाह्य दल का किनारा अगले दल पर तथा दूसरे तीसरे आदि पर अतिव्याप्त हो तो उसे व्यावर्तित कहते हैं । इसके उदाहरण: गुडहल, भिंडी तथा कपास हैं। फूल वाले पौधों में, आइसोट्रोपिक शब्द का अर्थ एक प्रकार की वृद्धि या विकास से है, जहाँ विस्तार सभी दिशाओं में समान रूप से होता है। यह आमतौर पर कोशिका वृद्धि के शुरुआती चरणों में देखा जाता है जब कोशिकाएँ सभी अक्षों पर समान दर से बढ़ती हैं, एक गोलाकार या गोल आकार बनाए रखती हैं। कोरस्पर्शी फूल की कली में बाह्यदल या पंखुड़ियों की एक विशिष्ट प्रकार की व्यवस्था को संदर्भित करता है। यह वर्णन करता है कि जब फूल अभी भी कली अवस्था में होता है, तो ये पुष्प भाग एक दूसरे के साथ कैसे स्थित या ओवरलैप होते हैं।

कोरस्पर्शी एस्टिवेशन

कोरस्पर्शी एस्टिवेशन एक प्रकार की व्यवस्था है, जहाँ बाह्यदल या पंखुड़ियाँ एक दूसरे को किनारे से किनारे तक छूती हैं, लेकिन ओवरलैप नहीं होती हैं। इस व्यवस्था में, आसन्न बाह्यदल या पंखुड़ियों के किनारे ओवरलैप या मुड़े बिना ही मिलते हैं।

विशेषता

कोरस्पर्शी एस्टिवेशन वाली फूल की कली में, प्रत्येक बाह्यदल या पंखुड़ी अगले बाह्यदल के साथ बिल्कुल किनारे पर मिलती है, जिससे एक बंद संरचना बनती है जिसमें कोई अंदर या बाहर की ओर मोड़ नहीं होता है।

कोरस्पर्शी एस्टिवेशन के उदाहरण

  • कैलोट्रोपिस: कोरस्पर्शी एस्टिवेशन वाले पौधे का एक सामान्य उदाहरण कैलोट्रोपिस का फूल है, जहाँ कली में पंखुड़ियाँ या बाह्यदल किनारे से किनारे तक व्यवस्थित होते हैं।
  • ब्रैसिकेसी परिवार: सरसों परिवार (ब्रैसिकेसी) के कई सदस्य भी कोरस्पर्शी एस्टिवेशन दिखाते हैं।

आइसोट्रोपिक बनाम अनिसोट्रोपिक वृद्धि

आइसोट्रोपिक वृद्धि: वृद्धि सभी दिशाओं में समान दर से होती है। यह आमतौर पर युवा पौधों की कोशिकाओं में या कोशिका विकास के शुरुआती चरणों के दौरान देखा जाता है।

अनिसोट्रोपिक वृद्धि: वृद्धि दर अलग-अलग अक्षों पर अलग-अलग होती है, जिससे लम्बी या दिशात्मक वृद्धि होती है। यह आमतौर पर अधिक परिपक्व कोशिकाओं में देखा जाता है, जैसे कि तने या जड़ों में, जहाँ एक विशेष दिशा में वृद्धि पौधे को संरचनात्मक या कार्यात्मक अनुकूलन प्राप्त करने में मदद करती है।

अभ्यास प्रश्न

  • कोरस्पर्शी को परिभाषित करें। यह ट्विस्टेड एस्टिवेशन से किस प्रकार भिन्न है?
  • पौधों की पहचान और वर्गीकरण में कोरस्पर्शी के महत्व को समझाइए।
  • बाह्यदल या पंखुड़ियों की व्यवस्था के संदर्भ में कोरस्पर्शी की मुख्य विशेषता क्या है?
  • ऐसे पौधों के दो उदाहरण दीजिए जो कोरस्पर्शी दिखाते हैं।
  • उपयुक्त आरेखों के साथ वाल्वेट, ट्विस्टेड और इम्ब्रिकेट एस्टिवेशन की तुलना और अंतर बताइए।