फेन प्लवन विधि

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धातुओं को उनके अयस्कों से स्वतंत्र और शुद्ध अवस्था में प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म या धातु का निष्कर्षण कहते हैं तथा इस प्रक्रिया में होने वाली अभिक्रियाएँ धातुकर्म कहलाती हैं।

फेन प्लवन विधि का उपयोग सल्फाइड अयस्क के सांद्रण में प्रयुक्त की जाती है। फेन प्लवन विधि में बारीक पिसे हुए सल्फाइड अयस्क को जल तथा चीण के तेल में मिलाकर टैंक में मिलाते हैं, बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर ऊपर से गर्म वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है जिससे शुद्ध अयस्क झाग के रूप में ऊपर आ जाता है और अशुद्धियाँ तली में बैठ जाती हैं।

सिल्वर ग्लांस - Ag2S

कॉपर ग्लांस - Cu2S

कॉपर पाइराइट - CuFeS2

गैलना - PbS

उदाहरण

ज़िंक सल्फाइड में NaCN अवनमक के रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे एक संकर यौगिक प्राप्त होता है यह फेन बंनने से रोकता है।