ब्राउनी गति
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किसी द्रव पदार्थ (द्रव या गैस) में निलंबित कणों की यादृच्छिक गति है जो गैस या द्रव में तेज परमाणुओं या अणुओं के साथ उनके टकराव के परिणामस्वरूप होती है। इस घटना को पहली बार 1827 में स्कॉटिश वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन ने देखा था और इसने पदार्थ के गतिज सिद्धांत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके ही नाम पर इसका नाम ब्राउनी गति पड़ा। किसी द्रव के अन्दर तैरते हुए कणों की टेड़ी-मेढ़ी गति को ही ब्राउनी गति कहते हैं। ये कण द्रव के गति करते हुए कणों से टकरा-टकरा कर टेढ़ी-मेढ़ी गति करते हैं।
कोलॉइडी कणों का तीव्र गति से आगे पीछे चलना ब्राउनी गति कहलाता है।
ब्राउनी गति-परिक्षेपित प्रावस्था के रूप में कोलॉइडी पदार्थो का परिक्षेपण माध्यम से बना कोलॉइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है। कोलॉइडी विलयन का अतिसूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी विलयन में कोलॉइडी कण टेढ़े-मेढे तरीके से सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गतिशील रहते है। कोलॉइडी कणो का इस प्रकार की गति करना ब्राउनी गति कहलाता है। वियर के अनुसार, यह गति कोलॉइडी कणो के परिक्षेपण माध्यम के कणो से टकरातने के कारण उत्पन्न होती है। जैसे जैसे कणो का आकार बढ़ता है यह घटती जाती है तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता बढ़ने पर ब्राउनी गति कम होती जाती है।
उदाहरण:
धुआं , बादल , कुहासा आदि।
ब्राउनी गति को प्रभावित करने वाले कारक
ब्राउनी गति की प्रभावित करन वाले कारक निम्न लिखित हैं:
- माध्यम की श्यानता
- माध्यम का घनत्व
- माध्यम का ताप
- कणों का आकार
ब्राउनी गति का कारण
- कोलॉइडी कणों द्वारा परिक्षेपण माध्यम के बड़े कणों की बमबारी।
- परिक्षेपण माध्यम के अणुओं द्वारा कोलॉइडी कणों की बमबारी।
- कोलॉइडी कणों द्वारा परिक्षेपण माध्यम के छोटे आकार के कणों की बमबारी।