अक्रिस्टलीय ठोस

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ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।

अक्रिस्टलीय ठोस गरम करने पर नरम हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उनकी श्यानता  इतनी कम हो जाती है कि वे द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं। इन पदार्थों का कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। इसलिए इनको अत्यधिक श्यानता वाले अतिशीतलित (सुपरकूल्ड) द्रव भी कहा जाता है। काँच, मोम, वसा, अलकतरा (डामर) आदि अकेलास ठोस में से हैं।

ठोस के रूप

ठोस आपने दो रूपों पाया जाता है:

  • क्रिस्टलीय ठोस
  • अक्रिस्टलीय ठोस

अक्रिस्टलीय ठोस

अमोर्फस शब्द ग्रीक शब्द 'ओमोर्फे' से लिया गया है जिसका अर्थ है आकारहीन। अमोर्फस ठोसों में घटक अणुओं की व्यवस्था नियमित नहीं बल्कि अनियमित होती है। हालाँकि इन ठोसों में कठोरता, असंपीड्यता, अपवर्तनांक आदि जैसे कुछ यांत्रिक गुण होते हैं, लेकिन इनमें विशिष्ट आकृतियाँ या ज्यामितीय रूप नहीं होते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस कई मायनों में द्रव पदार्थ से मिलते जुलते हैं जो कमरे के ताप पर बहुत धीमी गति से बहते हैं और सुपरकोल्ड द्रव पदार्थ के रूप में माने जाते हैं जिसमें अणुओं को एक साथ रखने वाले एकजुट बल इतने प्रबल होते हैं कि ठोस का निर्माण होता है लेकिन संरचना की कोई नियमितता नहीं होती है।

उदाहरण

ग्लास, रबर, प्लास्टिक आदि।

अक्रिस्टलीय ठोस की विशेषताएं

  • अक्रिस्टलीय ठोस में तीव्र गलनांक नहीं होते हैं:
  • जब कांच को गर्म किया जाता है, तो यह नरम हो जाता है और फिर ठोस से द्रव अवस्था में बिना किसी अचानक परिवर्तन के बहने लगता है।
  • अनाकार पदार्थ वास्तविक ठोस नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें द्रव  और ठोस के बीच मध्यवर्ती माना जा सकता है।
  • अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कणों की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती है।
  • ये द्रव की तरह बहने का गुण प्रदर्शित करते हैं इसलिए इन्हे अतिशीतत द्रव भी खा जाता है।
  • इनका गलनांक निश्चित नहीं होता है।
  • इनके अवयवी कणों की व्यवस्था अनियमित होती है।
  • ये असममित होते हैं।
  • इनके भौतिक गुण हमेशा समान होते हैं।

अक्रिस्टलीय ठोस के गुण:

  • अक्रिस्टलीय  ठोस में सभी परमाणु एक नियमित क्रम में व्यवस्थित नहीं होते ये अनियमित होते हैं।  
  • इनका गलनांक निश्चित नहीं होता है ।  
  •   ये समदैशिक होते है अर्थात इनके भौतिक गुण, जैसे उष्मीयचालकता , विद्युत चालकता, अपवर्तनांक आदि सभी दिशाओ में समान होते हैं।
  • क्रिष्टल निर्माण के समय यह बाहरी सतह नियमित क्रम में नहीं दर्शाते है।

अभ्यास प्रश्न

  • अक्रिस्टलीय ठोस से क्या तात्पर्य है?
  • क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
  • अक्रिस्टलीय ठोस की विशेषताएं बताइये।