डार्क मैटर(Dark matter)

From Vidyalayawiki

विज्ञान की दुनिया में आपने एक शब्द तो बहुत सुना होगा जो है "मैटर" जो भी हमें दिखाई दे रहा है वह मैटर है, और अब एक नये शब्द के बारे में जानकारी मिली है जिसे बोला जाता है "डार्क मैटर" डार्क मैटर एक प्रकार का पदार्थ है, जिसे ब्रह्मांड में बहुत अधिक द्रव्यमान के लिए जिम्मेदार माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर के विषय में अभी ज्यादा खोज नहीं हुई है, वैज्ञानिक लगातार डार्क मैटर की खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य ही है कि डार्क मैटर किस चीज़ से बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जितनी भी चीज़े हम देख पाते हैं वे पूरे ब्रह्माण्ड का सिर्फ 5% है और 95% हिस्से को हम देख ही नहीं पाते। अंतरिक्ष का 95% भाग डार्क एनर्जी और डार्क मैटर से मिलकर बना है जिसमे पूरे अंतरिक्ष का 27% भाग डार्क मैटर है और 68% भाग डार्क एनर्जी है। वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर और डार्क एनर्जी ही वह एक कणी है जिसके कारण पूरा ब्रह्माण्ड क्रम बध्य ढंग से बंधा हुआ है अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर ये डार्क मैटर दिखाई क्यों नहीं देते डार्क मैटर ऐसे पदार्थों से मिलकर बना है जो ना तो प्रकाश उत्सर्जित करते हैं और न ही अवशोषित करते हैं।

डार्क मैटर का इतिहास

1933 में स्विस खगोल भौतिक वैज्ञानिक फ्रिट्ज ज्विकी ने आकाशगंगीय समूहों के अध्यन के दौरान डार्क मैटर की उपस्थित का अनुमान लगाया। 1939 में अमेरिकन खगोल शास्त्री होरास बेब्काक ने अपने द्वारा की गई आकाशगंगा घूर्णन गति की गणना को दर्शाने वाले आलेख के आधार पर डार्क मैटर की उपस्थित के प्रमाण दिए। वेरा रूबिन और केंट हार्ड अमेरिकन खगोलशास्त्री वेरा कार्बन के उपकरण निर्माता केंट फोर्ड के साथ 1960 - 1970 के मध्य मिलकर काम किया तथा नए स्पेक्टोग्राफ के प्रयोग से स्पायरल आकाश गंगा की घूर्णन गति का मापन किया उन्होंने पाया कि इस घूर्णन गति की व्याख्या के लिए इन आकाशगंगाओं में दर्शय पदार्थ का छः गुना डार्क मैटर होना चाहिए।

डार्क मैटर की पहचान

खगोल शास्त्र तथा ब्रह्मांड विज्ञान में डार्क मैटर एक प्रायोगिक आधार पर अप्रमाणित परन्तु गणितीय आधार पर प्रमाणित पदार्थ है। इसकी विशेषता है कि अन्य पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाना जा सकता है किन्तु डार्क मैटर अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने नहीं जा सकते, इनके अस्तित्व का अनुमान दृश्यमान पदार्थों पर इनके द्वारा आरोपित गुरत्वीय प्रभावों से किया जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि अंतरिक्ष में कुछ तो है लेकिन उसका प्रमाण नही हैं जैसा कि आकाश गंगा में बहुत से तारे हैं अब प्रश्न ये उठता है कि ये  कभी आपस में टकराते नहीं हैं तो इसका एक कारण डार्क एनर्जी है। डार्क एनर्जी उस बल को दिया गया नाम है जिसके बारे में माना जाता है कि यह ब्रह्मांड के विस्तार को गति देता है। दूर की आकाशगंगाएँ तेज़ गति से हमसे दूर जाती हुई दिखाई देती हैं: विचार यह है कि ब्रह्मांड बड़ा हो रहा है और बिग बैंग के बाद से है। मापन अब इतना सटीक है कि खगोलविदों को यह बताने की अनुमति मिलती है कि ये आकाशगंगाएँ हमसे दूर जा रही हैं। ब्रह्मांड एक बढ़ती हुई दर से विस्तार कर रहा है।