विषकारक
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जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति से या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है तो इसे "उत्प्रेरण" कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ़ती है या कम होती है उसे उत्प्रेरक कहते हैं। उत्प्रेरक कभी अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल अभिक्रिया की गति को प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में वो रासायनिक पदार्थ जिसकी उपस्थिति के कारण रासायनिक अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है या कम हो जाती है लेकिन वह स्वयं रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता है उसे उत्प्रेरक कहते है और इस प्रक्रिया को उत्प्रेरण कहते है।
उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग लिए बिना अभिक्रिया की दर को बढ़ाता है, जबकि अवरोधक(विषकारक) अभिक्रिया को रोकते या धीमा करते हैं। अवरोधक उत्प्रेरक की गतिविधि को कम कर देते हैं। इसलिए इन्हें "ऋणात्मक उत्प्रेरक" भी कहा जाता है।