हॉल हेरोल्ट प्रक्रिया

From Vidyalayawiki

Revision as of 12:49, 3 May 2024 by Shikha (talk | contribs)

हॉल-हेरोल्ट प्रक्रिया एक वैधुत अपघटन की प्रक्रिया है जिसका उपयोग एल्यूमीनियम का उत्पादन में किया जाता है। एल्युमीनियम एक असंक्षारक सफेद धातु है यह वजन में बहुत हल्की होती है। यह आवर्त सारणी के बोरान समूह (समूह 13) से संबंधित है। पृथ्वी पर सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाली धातु एल्युमीनियम ही है, जो पृथ्वी की पपड़ी का लगभग 8% हिस्सा है। दो वैज्ञानिकों, चार्ल्स मार्टिन हॉल और पॉल हेरौल्ट ने हॉल-हेरौल्ट प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा ।

धातुओं को उनके लवणों के वैधुत अपघटन के माध्यम से बाहर निकालना ही हॉल और हेरॉल्ट प्रक्रिया कहलाता है। इस प्रक्रिया में यह अपचायक के रूप में कार्य करते हैं। हॉल और हेरॉल्ट प्रक्रिया का उपयोग शुद्ध एल्यूमिना और क्रायोलाइट के मिश्रण से  वैधुत अपघटन द्वारा एल्यूमीनियम प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस एल्यूमीनियम निष्कर्षण प्रक्रिया के तीन चरण हैं:

  • बॉक्साइट की सांद्रता
  • सांद्रित अयस्क से धातुओं का निष्कर्षण
  • धातुओं का शोधन

इस विधि में 1140K ताप पर, शुद्ध एल्यूमिना को क्रायोलाइट और फ्लोरस्पार के साथ पिघलाया जाता है, जिसका उपयोग वैधुत अपघटन (3:1 अनुपात) में किया जाता है। इस विधि में कैथोड ग्रेफाइट या गैस कार्बन से बना होता है, जबकि एनोड मोटी मोटी कार्बन छड़ों से बना होता है। एनोडिक छड़ों को जलने से बचाने के लिए इस पर कोक पाउडर का लेप चढ़ा दिया जाता है।

कैथोड पर:

एनोड पर:

वैधुत रासायनिक श्रृंखला में अलुमिनियम आयन नीचे स्थिति के कारण कैथोड तक जल्दी पहुंच जाते हैं । परिणामस्वरूप, 950 डिग्री सेल्सियस वैधुत अपघट्य तापमान पर, एल्यूमीनियम कैथोड पर जमा हो जाता है और टैंक में पिघलना शुरू हो जाता है। एनोड नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करता है, जो कोक कार्बन के साथ मिलकर कार्बन मोनोऑक्साइड बनाता है। जब कार्बन मोनोऑक्साइड वायुमंडल में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करता है तो कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है। कार्बन एनोड को नियमित रूप से बदला जाना चाहिए क्योंकि नवजात ऑक्सीजन उनके साथ अभिक्रिया करती है। इस प्रक्रिया से 99.95 प्रतिशत शुद्ध धातु प्राप्त होती है।

अभ्यास प्रश्न

  • हॉल हेरॉल्ट प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ?
  • हॉल हेरॉल्ट प्रक्रिया से किस धातु को शुद्ध किया जाता है ?