उपसारणिक और सहखंड

From Vidyalayawiki

आव्यूहों में उपसारणिक और सहखंड दो सबसे महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। वे आव्यूहों के सहखंडज और व्युत्क्रम को ज्ञात करने में आवश्यक हैं।

आव्यूहों के प्रत्येक अवयव के लिए उपसारणिक और सहखंड परिभाषित किए गए हैं।

उपसारणिक

आव्यूह के किसी अवयव के उपसारणिक आव्यूह के शेष अवयवों के सारणिक के समान होता है, जो आव्यूह में विशेष अवयव वाली पंक्ति और स्तंभ को हटाने के बाद प्राप्त होता है।

किसी सारणिक के अवयव का उपसारणिक वह सारणिक है जो उसकी वीं पंक्ति और वें स्तंभ को हटाकर प्राप्त किया जाता है जिसमें अवयव होता है। किसी अवयव के उपसारणिक को से दर्शाया जाता है

उदाहरण

सारणिक में अवयव का उपसारणिक ज्ञात कीजिए

अवयव , वीं पंक्ति और वें स्तंभ में उपस्तिथ है।

वीं पंक्ति और वें स्तंभ के अवयवों को हटा देंने के बाद, शेष अवयव द्वारा दर्शाए गए में से उपसारणिक होंगे

सहखंड

आव्यूह के किसी अवयव का सहखंड अवयव के उपसारणिक को अवयव वाले स्तंभ वीं और वें के योग की घात तक से गुणा करके प्राप्त किया जाता है।

किसी अवयव का सहखंड, जिसे द्वारा निरूपित किया जाता है, को = द्वारा परिभाषित किया जाता है, जहां , का उपसारणिक है।

उदाहरण

सारणिक में अवयव का सहखंड ज्ञात कीजिए

अवयव , वीं पंक्ति और वें स्तंभ में उपस्तिथ है, अत:

किसी अवयव का सहखंड, जिसे द्वारा निरूपित किया जाता है, द्वारा परिभाषित किया जाता है, जहां , का उपसारणिक है

हम उपरोक्त से जानते हैं